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पान मसाला पर उपकर लगाने का उद्देश्य स्वास्थ्य और सुरक्षा संसाधन जुटाना

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पान मसाला पर उपकर लगाने के प्रस्ताव का उद्देश्य बताया। यह कदम स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए उठाया गया है। इस उपकर से मिलने वाले राजस्व का एक हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। सीतारमण ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा और पान मसाला पर 40 प्रतिशत की जीएसटी दर बनी रहेगी। जानें इस विधेयक के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
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पान मसाला पर उपकर लगाने का उद्देश्य स्वास्थ्य और सुरक्षा संसाधन जुटाना

वित्त मंत्री का बयान

बृहस्पतिवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पान मसाला के उत्पादन पर उपकर लगाने के प्रस्ताव का उद्देश्य स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि यह कदम स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए उठाया गया है। इस उपकर से प्राप्त राजस्व का एक हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाएगा।


सीतारमण ने ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ को चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि इसका माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पान मसाला पर 40 प्रतिशत की जीएसटी दर पहले की तरह बनी रहेगी।


उपकर का उद्देश्य

वित्त मंत्री ने कहा कि इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों का निर्माण करना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह उपकर केवल हानिकारक वस्तुओं पर लागू होगा, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।


सीतारमण ने बताया कि उपकर लागू होने से पान मसाला की कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे इसके सेवन में कमी आएगी। इस राजस्व का एक हिस्सा राज्यों को दिया जाएगा ताकि वे स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं में इसका उपयोग कर सकें।


जीएसटी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं

उन्होंने यह भी कहा कि पान मसाला पर जीएसटी की व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होगा। जीएसटी के तहत पान मसाला पर 40 प्रतिशत कर लगाया जा रहा है।


‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ पान मसाला पर लगाए जाने वाले क्षतिपूर्ति उपकर की जगह लेगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े खर्चों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना है।


क्षतिपूर्ति उपकर की पृष्ठभूमि

जब जीएसटी की शुरुआत एक जुलाई 2017 को हुई थी, तब राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई के लिए 30 जून 2022 तक क्षतिपूर्ति उपकर की व्यवस्था लागू की गई थी। इसे बाद में 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया था। इस उपकर का संग्रह उस ऋण को चुकाने के लिए किया जा रहा है, जो केंद्र ने राज्यों को कोविड महामारी के दौरान जीएसटी राजस्व हानि की भरपाई के लिए लिया था।