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प्रधानमंत्री जनधन योजना की 11वीं वर्षगांठ: वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण उपलब्धि

प्रधानमंत्री जनधन योजना ने 11 वर्षों में भारतीय बैंकिंग प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। इस योजना के तहत 56 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, जिससे वित्तीय समावेशन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा लाभार्थी राज्य है, जबकि लक्षद्वीप जैसे कुछ राज्यों में प्रगति धीमी रही है। जानें इस योजना की सफलता और राज्यों की स्थिति के बारे में।
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प्रधानमंत्री जनधन योजना का महत्व

प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) की स्थापना को आज 11 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस महत्वपूर्ण पहल ने भारतीय बैंकिंग प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। योजना का उद्देश्य हर भारतीय को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना था, और इसके परिणाम अब स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में बताया कि इस योजना के तहत 56 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों में कुल जमा राशि 2.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। यह न केवल वित्तीय समावेशन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम को भी सशक्त बनाता है।


उत्तर प्रदेश का प्रमुख स्थान

राज्यों के संदर्भ में, उत्तर प्रदेश इस योजना का सबसे बड़ा लाभार्थी बनकर उभरा है। यहां 10 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं, जिनमें लगभग 54 हजार करोड़ रुपये जमा हैं। इसके बाद बिहार में 6.5 करोड़ और पश्चिम बंगाल में 5.44 करोड़ खाते खोले गए हैं। इन तीनों राज्यों ने बैंकिंग नेटवर्क को基层 स्तर तक पहुंचाने में उत्कृष्ट कार्य किया है।


कम प्रदर्शन वाले राज्य

हालांकि, कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां योजना की प्रगति धीमी रही है। लक्षद्वीप सबसे पीछे है, जहां केवल 10 हजार से कुछ अधिक खाते खोले गए हैं और कुल जमा राशि महज 18 करोड़ रुपये है। लद्दाख और सिक्किम जैसे राज्यों में भी खातों की संख्या और जमा राशि अपेक्षाकृत कम है।


उत्तराखंड की सफलता

जब पहाड़ी राज्यों की बात आती है, तो उत्तराखंड ने अन्य राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। यहां 39 लाख से अधिक लोग जनधन योजना से जुड़े हैं, और कुल बैलेंस 2,686 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर ने भी अच्छी प्रगति की है, जबकि अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर जैसे उत्तर-पूर्वी राज्य लगातार सुधार कर रहे हैं।