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प्रवीण गोला की मधुमक्खी पालन से सफल ब्रांडिंग की कहानी

दिल्ली की प्रवीण गोला ने मधुमक्खी पालन को एक सफल ब्रांड 'हनीवाली' में बदलकर आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल पेश की है। उन्होंने खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के तहत प्रशिक्षण लेकर इस व्यवसाय को एक नई दिशा दी। उनके पति प्रदीप कुमार ने इस सफर में उनका सहयोग किया, जिससे उन्होंने सोशल मीडिया पर मार्केटिंग और ग्राहकों का विश्वास जीतने में सफलता पाई। जानें कैसे उन्होंने विपणन की चुनौतियों का सामना किया और अपने ब्रांड को स्थापित किया।
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प्रवीण गोला की मधुमक्खी पालन से सफल ब्रांडिंग की कहानी

मधुमक्खी पालन व्यवसाय: एक सफल ब्रांड की कहानी

मधुमक्खी पालन व्यवसाय: एक सफल ब्रांड की कहानी: जब भी मधुमक्खी पालन व्यवसाय की सफलता की बात होती है, दिल्ली की प्रवीण गोला का नाम सामने आता है। उन्होंने मधुमक्खी पालन को एक सफल ब्रांड में बदलकर यह साबित किया है कि आत्मनिर्भरता केवल एक विचार नहीं, बल्कि मेहनत का परिणाम भी है।


प्रवीण ने खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC bee training) के तहत मुंबई में 10 दिन का प्रशिक्षण लिया, जहाँ उन्होंने मधुमक्खियों की देखभाल, रानी मधुमक्खी की पहचान और मधुमक्खी के छत्ते की देखभाल जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को सीखा। इसी प्रशिक्षण से उनके ब्रांड ‘हनीवाली’ की नींव रखी गई।


प्रशिक्षण से ब्रांड पहचान तक: ‘हनीवाली’ की यात्रा


शुरुआत में मधुमक्खी पालन उनके लिए केवल शहद उत्पादन था, लेकिन सही तकनीकी प्रशिक्षण ने इसे व्यवसाय में बदल दिया। इसके बाद उन्होंने ‘हनीवाली’ नाम से एक पहचान बनाई।


उनके पति प्रदीप कुमार ने इस यात्रा में उनका पूरा सहयोग किया। उन्होंने न केवल खेतों में शहद निकालने में मदद की, बल्कि सोशल मीडिया पर मार्केटिंग, पैकेजिंग और डिलीवरी जैसी चुनौतियों का भी सामना किया। सोशल मीडिया पर शहद की मार्केटिंग और शुद्ध शहद बेचने के टिप्स से उन्हें ग्राहकों का विश्वास प्राप्त हुआ।


विपणन की चुनौतियाँ और समाधान


शहद बेचने में पहली चुनौती थी ग्राहकों को यह विश्वास दिलाना कि उनका शहद वास्तव में ऑर्गेनिक है। बाजार में मिलावट की समस्या थी, लेकिन प्रवीण ने अपनी फार्म की प्रक्रिया को फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर वीडियो के माध्यम से साझा किया।