बिहार की औद्योगिक क्रांति: मढ़ौरा से वैश्विक लोकोमोटिव निर्यात की शुरुआत
बिहार का नया औद्योगिक चेहरा
बिहार अब केवल अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए नहीं, बल्कि औद्योगिक विकास के केंद्र के रूप में भी तेजी से उभर रहा है। छपरा जिले के मढ़ौरा में स्थित वेबटेक डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री ने भारत को पहली बार वैश्विक लोकोमोटिव निर्यातक के रूप में स्थापित किया है। यहां निर्मित उच्च-हॉर्सपावर डीजल इंजन अब अंतरराष्ट्रीय रेल मार्गों पर चलने के लिए तैयार हैं। इस परिवर्तन की अगुवाई 'KOMO' नामक लोकोमोटिव कर रहा है, जिसकी पहली खेप जल्द ही अफ्रीकी देश गिनी को भेजी जाएगी.
मेक इन इंडिया से मेड इन बिहार तक का सफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 'विकसित बिहार' के सपने ने एक ऐसा औद्योगिक मॉडल तैयार किया है, जिसकी गूंज अब वैश्विक बाजारों तक पहुंच रही है। यह केवल लोकोमोटिव का निर्यात नहीं, बल्कि बिहार की आत्मनिर्भरता, भारत की तकनीकी क्षमता और वैश्विक विश्वास का प्रतीक है। फैक्ट्री की स्थापना 2018 में हुई थी और अब तक 729 डीजल इंजन का निर्माण किया जा चुका है, जिसमें 4500 HP के 545 इंजन और 6000 HP के 184 इंजन शामिल हैं।
स्थानीय रोजगार को भी मिलेगा बूस्ट
इस परियोजना से न केवल वैश्विक व्यापार में वृद्धि हो रही है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए तकनीकी नौकरियों के अवसर भी बढ़ रहे हैं। फैक्ट्री से जुड़े छोटे सप्लायर्स और MSME को भी मजबूती मिलेगी, जिससे बिहार की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी। मढ़ौरा का यह लोकोमोटिव अब न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए दौड़ेगा, यह दर्शाता है कि बिहार अब केवल श्रमिकों का निर्यात करने वाला राज्य नहीं, बल्कि तकनीक का निर्यात करने वाला प्रदेश बन रहा है.
