बिहार में वोट अधिकार रैली: विपक्ष का बहिष्कार या चुनावी रणनीति?

बिहार में मतदाता सूची पर विवाद
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर संसद से लेकर सड़कों तक आंदोलन चल रहा है। स्वतंत्रता दिवस के बाद, राहुल गांधी बिहार में वोट अधिकार रैली का आयोजन करेंगे, जिसमें तेजस्वी यादव भी शामिल होंगे। तेजस्वी ने पहले कहा था कि विपक्ष मतदान का बहिष्कार कर सकता है, और अब उन्होंने इसे फिर से दोहराया है। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि उनका यह बयान रैली में भीड़ जुटाने और लोगों को एकजुट करने के प्रयास के तहत है।
उनकी पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि विपक्षी गठबंधन वोट का बहिष्कार नहीं करेगा। इसका मुख्य कारण यह है कि वोट चोरी का मुद्दा आम जनता को ज्यादा आकर्षित नहीं कर रहा है, जिससे यह जन आंदोलन का रूप नहीं ले पा रहा है।
दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ब्लॉक के बीच इस मुद्दे पर सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी इस पर सहमत नहीं हो सकते और एनडीए के साथ जा सकते हैं। कांग्रेस को भी इस मामले में तैयार करना आसान नहीं होगा, क्योंकि यदि बिहार में बहिष्कार किया गया, तो पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में भी ऐसा दबाव बढ़ सकता है।
इसके अलावा, बिहार में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी एक नई ताकत के रूप में उभरी है, जो सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा है कि यदि दो प्रतिशत वोट भी कट जाएं, तो कोई बात नहीं है, एनडीए तब भी हार जाएगा। इसका मतलब है कि वे 65 लाख या इससे अधिक नाम कटने के बावजूद चुनाव में भाग लेंगे। इस स्थिति में राजद और कांग्रेस को यह समझ में आ रहा है कि यदि चुनाव का बहिष्कार किया गया, तो सब कुछ हाथ से निकल जाएगा। बिहार का चुनाव एनडीए बनाम जन सुराज के बीच होगा, और इसलिए चुनाव बहिष्कार अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित हो सकता है।