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ब्रिक्स को वैश्विक व्यापार चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता: एस. जयशंकर

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिक्स देशों को वैश्विक व्यापार व्यवस्था में आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने बढ़ते संरक्षणवाद और व्यापार में बाधाओं के बारे में बात की। जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स को बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था की रक्षा करनी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर भी ध्यान दिया। इस बैठक में इथियोपिया के विदेश राज्य मंत्री ने भी संयुक्त कार्रवाई का प्रस्ताव रखा। भारत अगले वर्ष ब्रिक्स का अध्यक्ष बनेगा और इसकी प्राथमिकताएं खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास होंगी।
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ब्रिक्स को वैश्विक व्यापार चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता: एस. जयशंकर

ब्रिक्स देशों की बैठक में एस. जयशंकर का बयान

संयुक्त राष्ट्र: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि ब्रिक्स देशों को वैश्विक व्यापार व्यवस्था में आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।


उन्होंने शुक्रवार को ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में बताया कि बढ़ते संरक्षणवाद, विभिन्न शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएं व्यापार को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में ब्रिक्स को बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था की रक्षा करनी चाहिए।


इससे पहले, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी दी थी। उन्होंने भारत और ब्राजील पर 50 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका से होने वाले अधिकांश आयातों पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया है।


हालांकि, जयशंकर ने अपने बयान में अमेरिका का नाम नहीं लिया।


बैठक में इथियोपिया के विदेश राज्य मंत्री हदेरा अबेरा अदमासु ने संयुक्त कार्रवाई का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को शांति स्थापित करने, वैश्विक संस्थाओं में सुधार लाने और विकासशील देशों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।


जयशंकर ने कहा कि जब बहुपक्षीय व्यवस्था दबाव में होती है, तब ब्रिक्स ने हमेशा विवेकपूर्ण और सकारात्मक बदलाव की आवाज उठाई है।


उन्होंने आईबीएसए (भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका का समूह) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भाग लिया। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसके अलावा, आईबीएसए के शैक्षणिक मंच, समुद्री अभ्यास, ट्रस्ट फंड और आपसी व्यापार पर चर्चा हुई।


ब्रिक्स मंत्रियों की बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर भी चर्चा हुई। जयशंकर ने कहा, "व्यापार प्रणाली से परे, ब्रिक्स को संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों, विशेषकर सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार के लिए प्रयास करना चाहिए।"


उन्होंने कहा, "एक अशांत विश्व में, ब्रिक्स को शांति स्थापना, संवाद, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के संदेश को मजबूत करना चाहिए।"


ब्रिक्स एक संगठन है, जिसका नाम इसके पहले पांच सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के शुरुआती अक्षरों से बना है। अब इसमें कुल दस उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। इन देशों का उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक विकास के मुद्दों पर मिलकर काम करना है।


अगले वर्ष भारत ब्राज़ील की जगह ब्रिक्स का अध्यक्ष बनेगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत की प्राथमिकता खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास होगी। इसके लिए डिजिटल बदलाव, स्टार्टअप्स, नवाचार और मजबूत विकास साझेदारी पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और नवाचार ब्रिक्स सहयोग के अगले चरण को परिभाषित करेंगे।


दूसरी ओर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि ब्रिक्स अपनी अलग मुद्रा बनाकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर को चुनौती देना चाहता है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि ब्रिक्स की कोई नई मुद्रा लाने की योजना नहीं है।


ब्रिक्स का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) है, जो विकासशील देशों को कम ब्याज पर कर्ज प्रदान करता है।