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भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर वार्ता फिर से शुरू

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर वार्ता एक बार फिर से शुरू हो गई है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस सप्ताह अमेरिका का दौरा करेगा, जबकि अमेरिका ने चेतावनी दी है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदता रहा, तो समझौता आगे नहीं बढ़ेगा। इस समझौते का लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। जानें इस समझौते की प्रगति और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बारे में।
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भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर वार्ता फिर से शुरू

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का अमेरिका दौरा


भारतीय दल इस सप्ताह अमेरिका का दौरा करेगा, समझौते का पहला चरण पूरा होने की उम्मीद


India-US Trade Deal, बिजनेस डेस्क : भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद प्रगति जारी है। अगस्त में अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, जो अभी भी लागू है। इसके बावजूद, दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत जारी रखने का निर्णय लिया। सितंबर में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत आया और अब भारतीय दल भी अमेरिका पहुंच रहा है।


हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने चेतावनी दी है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदता रहा, तो अमेरिका समझौते पर आगे नहीं बढ़ेगा। लेकिन अब एक बार फिर वार्ता में प्रगति के संकेत मिले हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस सप्ताह वरिष्ठ अधिकारियों का एक दल व्यापार वार्ता के लिए अमेरिका जाएगा।


अमेरिका: भारत का प्रमुख व्यापारिक साझेदार


इस समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 191 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर करना है। अमेरिका 2024-25 में लगातार चौथे वर्ष भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहेगा, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार 131.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर (86.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात) होगा।


भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत है, जबकि आयात में यह 6.22 प्रतिशत है। इससे पहले फरवरी में दोनों देशों के नेताओं ने अधिकारियों को द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने का निर्देश दिया था। समझौते का पहला चरण 2025 के अक्टूबर-नवंबर तक पूरा करने की योजना है। अब तक व्यापार वार्ता के पांच दौर पूरे हो चुके हैं।


अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती तनाव


पिछले सप्ताह अमेरिका ने चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। चीन ने भी जवाब में कहा है कि वह किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा और भविष्य में सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि अमेरिका एक नवंबर से नई टैरिफ दरें लागू करता है, तो चीन भी अमेरिकी सामान पर उच्च दरें लागू करेगा।