भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में नया मोड़

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में तेजी
भारत और अमेरिका के आर्थिक संबंधों में एक नया अध्याय खुलने की संभावना बढ़ रही है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है, जिससे एक अंतरिम समझौते की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में संकेत दिया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि भारत के साथ एक विशेष प्रकार का समझौता जल्द ही होने वाला है, जिससे दोनों देश प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकेंगे। यदि भारत टैरिफ में कमी लाता है, तो यह समझौता संभव हो सकता है।"
दोनों देशों के बीच वार्ताएं 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले किसी सहमति पर पहुंचने के प्रयास में तेज हो गई हैं। इस दिन 90-दिवसीय अवधि समाप्त हो रही है, जिसके तहत आपसी टैरिफ में छूट प्रभावी है। यदि कोई समझौता नहीं होता है, तो 26% टैरिफ फिर से लागू हो सकता है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल, जिसका नेतृत्व वरिष्ठ अधिकारी राजेश अग्रवाल कर रहे हैं, वाशिंगटन में बातचीत के लिए अपने प्रवास को बढ़ा चुका है। भारत ने कृषि क्षेत्र को लेकर कोई भी रियायत देने से इनकार किया है, यह कहते हुए कि यह क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है।
वाशिंगटन भारत से मांग कर रहा है कि वह सेब, ड्राई फ्रूट्स और आनुवंशिक रूप से विकसित फसलों पर आयात शुल्क में कटौती करे। वहीं, भारत ने डेयरी क्षेत्र को विदेशी प्रतिस्पर्धा से दूर रखने की अपनी नीति में बदलाव के संकेत नहीं दिए हैं।
भारत इस समझौते में अपने श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे वस्त्र, आभूषण, चमड़ा, और समुद्री खाद्य उत्पादों को अमेरिका में प्राथमिकता देने की मांग कर रहा है। इसके साथ ही, अंगूर, केला और तिलहन जैसे कृषि उत्पादों के लिए बाजार में प्रवेश को आसान बनाने पर जोर दिया जा रहा है।