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भारत का निर्यात अमेरिकी टैरिफ के बावजूद बढ़ा: अगस्त में 35.1 अरब डॉलर

अगस्त में भारत का निर्यात 35.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच निर्यातकों की सफलता की सराहना की। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भारत की विकास यात्रा में स्थिरता को अनिवार्य बताया। जानें इस रिपोर्ट में और क्या है खास।
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भारत का निर्यात अमेरिकी टैरिफ के बावजूद बढ़ा: अगस्त में 35.1 अरब डॉलर

अगस्त में भारत का निर्यात 35.1 अरब डॉलर तक पहुंचा


अगस्त में भारत का निर्यात 35.1 अरब डॉलर तक पहुंचा


बिजनेस न्यूज़ अपडेट: अगस्त के पहले से लेकर अंतिम सप्ताह तक अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया। अमेरिका को उम्मीद थी कि इस कदम से भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इसके विपरीत, अगस्त में भारत का निर्यात बढ़कर 35.1 अरब डॉलर हो गया।


आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में भारत का निर्यात 6.7 प्रतिशत बढ़ा, जबकि आयात 10.12 प्रतिशत घटकर 61.59 अरब डॉलर रह गया। पिछले वर्ष इसी महीने में निर्यात 32.89 अरब डॉलर और आयात 68.53 अरब डॉलर था। अगस्त 2025 में व्यापार घाटा 26.49 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले वर्ष यह 35.64 अरब डॉलर था।


वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत का अच्छा प्रदर्शन

अप्रैल से अगस्त 2025-26 के दौरान निर्यात 184.13 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 306.52 अरब डॉलर रहा। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने मीडिया को बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं और व्यापार नीति में बदलाव के बावजूद भारत के निर्यातकों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।


भारत अपने विकास की स्थिरता को लेकर समझौता नहीं करेगा: गोयल

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में रुकावटें समाप्त हो गई हैं। अमेरिकी प्रतिनिधि भारत पहुंच चुके हैं और जल्द ही वार्ता फिर से शुरू होगी। हालांकि, दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं।


सोमवार को अमेरिकी प्रतिनिधि ने भारत को हठधर्मिता छोड़ने की सलाह दी, जबकि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत की विकास यात्रा में स्थिरता अनिवार्य है।


उन्होंने कहा कि गुणवत्ता, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक मानकों में सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक है। भारत अपनी अर्थव्यवस्था की स्थिरता से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा।