भारत की आर्थिक वृद्धि में घरेलू मांग का योगदान 2026 में बढ़ेगा
भारत की आर्थिक विकास की भविष्यवाणी
नई दिल्ली: भारत की आर्थिक वृद्धि की गति 2026 में भी जारी रहेगी, जिसका मुख्य कारण घरेलू मांग में वृद्धि है। यह जानकारी सोमवार को एक नई रिपोर्ट में सामने आई है।
मॉर्गन स्टेनली द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, मैक्रो इंडिकेटर्स स्थिर बने हुए हैं, जिससे नीति निर्माताओं को विकास को समर्थन देने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय उपायों का उपयोग करने की पर्याप्त गुंजाइश मिलती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का विकास मुख्य रूप से मजबूत घरेलू खर्च और बढ़ते निजी निवेश से संचालित होगा।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत में वृद्धि की उम्मीद के साथ, वित्त वर्ष 2027-28 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
कृषि आय में वृद्धि के चलते ग्रामीण मांग पहले से ही मजबूत है, जबकि कमजोर शहरी मांग अब नीतिगत समर्थन के साथ फिर से मजबूत हो रही है।
नीतिगत मोर्चे पर, मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट 5.25 प्रतिशत पर आ जाएगा।
वैश्विक निवेश बैंक ने आगे कहा कि इस कटौती के बाद ब्याज दरों में कमी पर ब्रेक लग सकता है और केंद्रीय बैंक कुछ समय के लिए ब्याज दरों के प्रभाव की समीक्षा कर सकता है।
हालांकि, इस दौरान सरकार का ध्यान पूंजीगत व्यय और राजकोषीय समेकन पर बना रहेगा, जिससे अर्थव्यवस्था की गति बनी रहेगी।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वैश्विक कारक जैसे भूराजनीतिक उठापटक और अमेरिकी नीतियां भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के टैक्स सुधारों से मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिली है, जिससे लोगों की खर्च योग्य क्षमता में वृद्धि होगी।
जैसे-जैसे व्यवसायों में विश्वास बढ़ेगा, निजी क्षेत्र में निवेश में वृद्धि की संभावना है, जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और उपभोग में और मजबूती आएगी।
