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भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप: एक नई तकनीकी क्रांति की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप के विकास की घोषणा की है, जो 2025 के अंत तक बाजार में उपलब्ध होगी। यह तकनीकी उपलब्धि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जानें सेमीकंडक्टर चिप्स का महत्व, उनका उपयोग और भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा के बारे में।
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प्रधानमंत्री मोदी का ऐलान

इस वर्ष के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से एक महत्वपूर्ण तकनीकी योजना का उद्घाटन किया। उनके भाषण में कई मुद्दे शामिल थे, लेकिन सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाली घोषणा यह थी कि भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप 2025 के अंत तक बाजार में उपलब्ध होगी। इस तकनीकी विकास के पीछे की कहानी को सरल भाषा में समझते हैं।


सेमीकंडक्टर चिप, जिसे आमतौर पर माइक्रोचिप या इंटीग्रेटेड सर्किट कहा जाता है, सिलिकॉन से निर्मित होती है और इसका मुख्य कार्य इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रित करना है। यह एक छोटी लेकिन शक्तिशाली डिवाइस है जिसमें लाखों ट्रांजिस्टर होते हैं। ये चिप्स स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टेलीविज़न, ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरण, उपग्रह और रक्षा उपकरणों के संचालन के लिए आवश्यक हैं।


सोचिए, ये चिप्स हमारे दिमाग की तरह स्मार्ट उपकरणों के 'ब्रेन' का काम करती हैं। स्मार्टफोन से लेकर वॉशिंग मशीन तक, हर आधुनिक उपकरण में ये चिप किसी न किसी रूप में मौजूद होती हैं। डेटा प्रोसेसिंग, संचार और नियंत्रण के लिए ये चिप्स अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। चाहे वो उपग्रह से सिग्नल भेजना हो या एक कार को ऑटोमैटिक मोड में चलाना, सब कुछ इन्हीं पर निर्भर करता है।


वैश्विक सेमीकंडक्टर चिप निर्माण

वर्तमान में, कुछ ही देश इस क्षेत्र में अग्रणी हैं। ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका इस समय वैश्विक सप्लाई चेन में प्रमुखता रखते हैं। ताइवान सबसे बड़ा निर्माता है, जबकि अमेरिका इन चिप्स के डिजाइन में विशेषज्ञता रखता है। भारत अभी इन देशों से सेमीकंडक्टर चिप्स का आयात करता है, लेकिन अब यह स्थिति बदलने वाली है।


भारत सरकार ने 2021 में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण को बढ़ावा देने के लिए "इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन" की शुरुआत की थी। इसके तहत 76,000 करोड़ रुपये का निवेश निर्धारित किया गया है। इसका उद्देश्य आधुनिक चिप फैब्रिकेशन यूनिट्स और डिजाइन इकोसिस्टम का विकास करना है। हाल ही में, गुजरात के धोलेरा में एक बड़ी सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने की घोषणा की गई है, जिसमें टाटा ग्रुप और ताइवान की कंपनियाँ साझेदार होंगी।


भारत में चिप निर्माण के लाभ

पीएम मोदी की यह योजना केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं है। देश में चिप निर्माण से लाखों नई नौकरियों का सृजन होगा, विशेषकर इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्रों में। इसके साथ ही, भारत की रक्षा क्षमताएं भी मजबूत होंगी, क्योंकि घरेलू तकनीक पर आधारित चिप्स सैन्य उपकरणों की सुरक्षा और विश्वसनीयता को बढ़ाएंगी। इसके अलावा, भारत वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभरेगा।