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भारत की विकास दर 2026 में वैश्विक औसत से अधिक रहने की उम्मीद

गोल्डमैन सैश की हालिया रिपोर्ट में भारत की विकास दर को लेकर सकारात्मक अनुमान व्यक्त किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की विकास दर 2026 में वैश्विक औसत से अधिक रहने की संभावना है, जबकि अमेरिका का प्रदर्शन भी बेहतर रहने की उम्मीद है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है और भारत की आर्थिक स्थिति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
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भारत की विकास दर 2026 में वैश्विक औसत से अधिक रहने की उम्मीद

भारत की विकास दर में तेजी का अनुमान


2026 में भारत की विकास दर वैश्विक औसत से अधिक रहने की संभावना


हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने विपरीत परिस्थितियों और अमेरिकी टैरिफ के बावजूद आर्थिक विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है। जबकि अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक मंदी के प्रभाव में हैं, भारत ने विकासशील देशों में सबसे तेज विकास दर बनाए रखी है। यह उम्मीद की जा रही है कि यह विकास दर 2026 में भी जारी रहेगी।


गोल्डमैन सैश की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक विकास स्थिर रहने की संभावना है, और भारत अगले वर्ष भी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार, 2026 में वैश्विक विकास दर 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2.5 प्रतिशत के आम सहमति अनुमान से अधिक है। भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर लगभग 6.7 प्रतिशत रहने की संभावना है।


अमेरिका की आर्थिक स्थिति

अमेरिका का प्रदर्शन भी रहेगा बेहतर


रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिका में टैरिफ में कमी, कर कटौती और आसान वित्तीय स्थितियों के कारण आर्थिक प्रदर्शन में सुधार होगा। भारत सहित उभरते बाजारों का प्रदर्शन विकसित देशों की तुलना में बेहतर रहने की उम्मीद है।


चीन की विकास दर का अनुमान

चीन की विकास दर


गोल्डमैन सैश का अनुमान है कि चीन 2026 में 4.8 प्रतिशत और 2027 में 4.7 प्रतिशत की विकास दर हासिल करेगा। भारत की विकास दर घरेलू खपत, सार्वजनिक अवसंरचना में निवेश और वैश्विक व्यापार व्यवधानों के प्रति सीमित जोखिम से प्रभावित है।


आर्थिक दबावों में कमी

रिपोर्ट में यह भी अनुमान जताया गया


गोल्डमैन सैश का मानना है कि कमोडिटी की कीमतों में कमी, बेहतर उत्पादकता और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार से 2026 के अंत तक अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं में मूल्य दबाव कम होगा। यह स्थिति भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए विकास की संभावनाओं को और बढ़ा सकती है।


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