भारत के 1 ट्रिलियन डॉलर निर्यात लक्ष्य की चुनौतियाँ
भारत सरकार ने 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य की ओर बढ़ने की योजना बनाई है, लेकिन मौजूदा वैश्विक परिस्थितियाँ इस लक्ष्य को प्राप्त करना कठिन बना रही हैं। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 के अंत तक इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो सकता है। सेवाओं के क्षेत्र में निर्यात में वृद्धि की संभावना है, जबकि वस्तुओं के निर्यात में कमी देखी जा रही है। जानें इस रिपोर्ट में भारत के निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं के बारे में।
| Dec 25, 2025, 22:59 IST
भारत का निर्यात लक्ष्य और वैश्विक चुनौतियाँ
भारत सरकार ने 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य की ओर बढ़ने की योजना बनाई है, लेकिन वर्तमान वैश्विक परिस्थितियाँ इस लक्ष्य को प्राप्त करना कठिन बना रही हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 के अंत तक इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वित्त वर्ष में भारत का कुल निर्यात लगभग स्थिर रहने की संभावना है, जो लगभग 850 अरब डॉलर तक सीमित रह सकता है। यह निर्धारित लक्ष्य से लगभग 150 अरब डॉलर कम है। वैश्विक मांग में कमी और बढ़ती संरक्षणवादी नीतियाँ भारतीय निर्यात पर दबाव डाल रही हैं।
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में निर्यात का मुख्य सहारा सेवाओं के क्षेत्र से मिल रहा है। उनका मानना है कि सेवाओं का निर्यात 400 अरब डॉलर को पार कर सकता है, जबकि वस्तुओं के निर्यात में कोई खास वृद्धि नहीं हो रही है।
यदि भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ महत्वपूर्ण व्यापार समझौतों को सफलतापूर्वक संपन्न कर लेता है, तो स्थिति में सुधार संभव है। हालांकि, श्रीवास्तव का कहना है कि ऐसे समझौतों की संभावना अगले वर्ष से पहले नहीं है।
हाल के महीनों में अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ भारत के व्यापार में गिरावट आई है। मई से नवंबर के बीच अमेरिका को निर्यात में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आई है, जिसका मुख्य कारण वहां लागू किए गए अतिरिक्त शुल्क हैं। यूरोपीय संघ में भी कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) जैसी नीतियों के कारण भारतीय निर्यात पर दबाव बढ़ा है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत ने अन्य बाजारों की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है। अमेरिका और यूरोप के बाहर के देशों में निर्यात में लगभग 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो भौगोलिक विविधता के विकास का संकेत देती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को नए व्यापार समझौतों के साथ-साथ अपने निर्यात ढांचे को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में मूल्यवर्धन और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर टैरिफ, जलवायु आधारित कर और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ व्यापार को प्रभावित करती रहेंगी। इसलिए भारत के लिए आवश्यक है कि वह घरेलू उत्पादन क्षमता, लागत नियंत्रण और नीतिगत क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करे।
वित्त वर्ष 2025 में भारत का कुल निर्यात लगभग 825 अरब डॉलर था, जिसमें 438 अरब डॉलर वस्तुओं और 387 अरब डॉलर सेवाओं से आया था। ये आंकड़े आने वाले वर्षों की दिशा को भी निर्धारित करेंगे।
