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भारत के उद्योगपतियों की चुनौतियाँ: विदेशी कंपनियों के वेंडर बनना

इस लेख में भारत के उद्योगपतियों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई है, जो अक्सर विदेशी कंपनियों के वेंडर के रूप में कार्य कर रहे हैं। टाटा समूह को एप्पल के उत्पादों की मरम्मत और राफेल की मुख्य बॉडी बनाने का ठेका मिला है। यह जानकर आश्चर्य होता है कि इतनी बड़ी कंपनियाँ अपने उत्पादों का निर्माण करने के लिए क्यों नहीं सोचतीं। जानें इस विषय पर और क्या चल रहा है।
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भारत के उद्योगपतियों की चुनौतियाँ: विदेशी कंपनियों के वेंडर बनना

उद्योगपतियों की स्थिति

यदि आप यह जानना चाहें कि इस देश में कौन से उद्यमी हैं जिन्होंने अनुसंधान में निवेश किया और ऐसा उत्पाद विकसित किया जिसका उपयोग देश और विदेश में हो रहा है, तो शायद आपको दस उंगलियाँ भी कम पड़ जाएँगी। यहाँ के सबसे बड़े और सबसे पुराने उद्योगपति, जो एशिया में शीर्ष स्थान पर हैं, या तो सरकारी सहायता पर निर्भर हैं या विदेशी कंपनियों के लिए वेंडर के रूप में कार्य कर रहे हैं। बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ उन्हें अपने ठेकेदार के रूप में चुनती हैं और वे खुशी-खुशी यह कार्य करते हैं।


टाटा समूह की नई जिम्मेदारियाँ

हाल ही में यह जानकारी सामने आई है कि अमेरिकी कंपनी एप्पल ने टाटा समूह को अपने उत्पादों की मरम्मत और सेवा का कार्य सौंपा है। यह सोचने वाली बात है कि देश के सबसे पुराने उद्योग घराने और 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाली कंपनी एप्पल के उत्पादों के रखरखाव का कार्य करेगी। इसके अलावा, टाटा को राफेल की मुख्य बॉडी बनाने का ठेका भी मिला है। यह सवाल उठता है कि इतनी बड़ी कंपनियाँ जैसे एप्पल या राफेल, अपने उत्पादों का निर्माण करने के लिए क्यों नहीं सोचतीं? इसी तरह, अंबानी की रिलायंस जियो और सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, भारत में इलॉन मस्क की स्पेसएक्स की सेटेलाइट इंटरनेट सेवा के वेंडर बने हैं। दोनों ने मस्क की कंपनी के साथ करार किया है।