भारत के जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 2030 तक 20% तक पहुंचने की संभावना
भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का विकास
नई दिल्ली: भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2030 तक लगभग 20 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है, जो वर्तमान में 13 प्रतिशत है। यह जानकारी एक हालिया रिपोर्ट में साझा की गई है।
इक्विरस कैपिटल द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ती मांग, नीतिगत सुधार और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत के बेहतर एकीकरण के चलते, साथ ही वैश्विक कंपनियों द्वारा चीन से विविधता लाने के प्रयासों के कारण, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जीडीपी में हिस्सेदारी 2030 तक 20 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
इक्विरस कैपिटल के प्रबंध निदेशक मुनीश अग्रवाल ने कहा, "इस क्षेत्र ने स्थिर विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। हालांकि, भू-राजनीतिक जटिलताओं के कारण टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं में वृद्धि हो सकती है, लेकिन भारतीय कंपनियों को अगले पांच वर्षों में उच्च वृद्धि देखने को मिलेगी।"
उन्होंने यह भी कहा कि प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई), गति शक्ति और इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार की योजनाएं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भारत के विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनाने में मदद करेंगी।
जुलाई 2022 से बीएसई इंडस्ट्रियल्स इंडेक्स ने सेंसेक्स और अन्य क्षेत्रीय सूचकांकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है, जो इस दिशा में सकारात्मक संकेत देता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में इंडस्ट्रियल सेक्टर ने 32 आईपीओ के माध्यम से 663.2 अरब रुपए और विलय एवं अधिग्रहण तथा प्राइवेट इक्विटी निवेश से 1,432.8 अरब रुपए जुटाए।
विलय एवं अधिग्रहण के चलते ईवी, इलेक्ट्रॉनिक्स और सीमेंट क्षेत्रों में विकास के अगले चरण का आकार लेना संभव है, जबकि पैकेजिंग, एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्रों में प्राइवेट इक्विटी निवेशकों की रुचि वित्त वर्ष 2030 तक बनी रहने की संभावना है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि औद्योगिक क्षेत्रों में ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और एआई का एकीकरण बढ़ेगा, और छोटे मैन्युफैक्चरिंग संस्थाएं भी रोबोटिक्स को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगी।
