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भारत के निर्यात में गिरावट से बचने के लिए वैकल्पिक बाजारों की खोज आवश्यक

भारत के निर्यात में गिरावट की संभावना बढ़ रही है, खासकर अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के कारण। रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत वैकल्पिक बाजारों की खोज में असफल रहता है, तो निर्यात में 5 प्रतिशत की कमी आ सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए सरकार को नए बाजारों की तलाश करनी होगी। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और इसके संभावित प्रभाव क्या हो सकते हैं।
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भारत के निर्यात में गिरावट से बचने के लिए वैकल्पिक बाजारों की खोज आवश्यक

बिजनेस समाचार


बिजनेस डेस्क: अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के चलते भारत के वस्तु निर्यात में महत्वपूर्ण कमी आने की आशंका है। इस स्थिति से बचने के लिए सरकार को नए वैकल्पिक बाजारों की खोज करनी होगी। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति के आदेश पर भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है, जिससे कपड़ा, समुद्री उत्पाद और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, जैविक रसायन, मशीनरी, परिवहन उपकरण, प्लास्टिक और चमड़े के उत्पाद भी प्रभावित हो सकते हैं।


5 प्रतिशत की गिरावट की संभावना

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारत वैकल्पिक बाजारों की खोज में असफल रहता है, तो चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दिसंबर तिमाही में निर्यात में 5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। यह गिरावट लगभग 103.3 अरब डॉलर के बराबर होगी।


पिछले वर्ष में निर्यात में कमी

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का निर्यात लगभग 3 प्रतिशत घटा था, जबकि 2024-25 में यह स्थिर रहा। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल से अगस्त की अवधि में निर्यात में 2.3 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई, जिसमें अमेरिका को 18 प्रतिशत अधिक निर्यात किया गया।


हांगकांग और चीन को निर्यात में वृद्धि

इस अवधि में भारत से हांगकांग और चीन को निर्यात में क्रमशः 26.3 प्रतिशत और 19.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। नीति आयोग के सीईओ ने हाल ही में कहा कि भारत को चीन के साथ अपने निर्यात को बढ़ाने की आवश्यकता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि विविधीकरण के उपायों से अमेरिका के निर्यात में अनुमानित गिरावट की भरपाई करना संभव नहीं होगा।


पेट्रोलियम निर्यात में कमी

भारत के कुल निर्यात का 5 प्रतिशत अमेरिका को भेजा जाता है, जो अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक है। इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों के माध्यम से निर्यात में गिरावट की आंशिक भरपाई की जा सकती है। हालांकि, वैश्विक बाजार में कीमतों में गिरावट के कारण दिसंबर तिमाही में पेट्रोलियम निर्यात भी घट सकता है।