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भारत के लिए अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में नए अवसर

हाल ही में अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ में बदलाव ने भारत के नीति निर्माताओं को नए अवसरों की खोज में प्रेरित किया है। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा चीन पर 55% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद, भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यह लेख बताता है कि कैसे ये बदलाव भारत के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, साथ ही चीन की रणनीति और दुर्लभ खनिजों पर उसके एकाधिकार का भी विश्लेषण करता है। जानें कि भारत को इस बदलते परिदृश्य में अपनी व्यापार रणनीति को कैसे मजबूत करना चाहिए।
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भारत के लिए अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में नए अवसर

अमेरिका द्वारा चीन पर टैरिफ में बदलाव

हाल ही में अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए टैरिफ में बदलाव ने नई दिल्ली के नीति निर्माताओं को फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया है। विशेष रूप से, अमेरिकी बंदरगाहों पर चीनी उत्पादों पर प्रभावी टैरिफ और उन वस्तुओं में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहां भारतीय निर्माता मजबूत स्थिति में हैं। भारत और चीन के बीच टैरिफ के अंतर का रुझान नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह माना जाता है कि वाशिंगटन डीसी भारत और चीन के बीच उचित टैरिफ अंतर सुनिश्चित करेगा.


ट्रंप की टैरिफ नीति और भारत के लिए अवसर

राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि चीन पर 55% टैरिफ लगाया जाएगा, जो भारत पर मौजूदा 26% टैरिफ की तुलना में लगभग 30% का अंतर दर्शाता है। हालांकि, इसमें कुछ जटिलताएं हैं। ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियां अक्सर अल्पकालिक रही हैं, और लंदन में हाल की वार्ताओं के बाद घोषित नए टैरिफ की अवधि अनिश्चित है। इसके अलावा, मई में जेनेवा में हुई वार्ताओं में अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ 145% से घटाकर 30% किया था, जबकि चीन ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ 10% तक कम किया और महत्वपूर्ण खनिज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का वादा किया। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "हमें कुल 55% टैरिफ मिल रहा है, चीन को 10%. रिश्ता शानदार है!" हालांकि, यह अंतिम स्वीकृति दोनों देशों के राष्ट्रपतियों पर निर्भर है।


चीन की रणनीति और दुर्लभ खनिजों का दबदबा

चीन ने अमेरिकी ऑटोमेकर्स और निर्माताओं के लिए दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट के निर्यात लाइसेंस पर छह महीने का प्रतिबंध लगा दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम बीजिंग को व्यापार वार्ताओं में अतिरिक्त लाभ देगा और अमेरिकी उद्योगों के लिए अनिश्चितता बढ़ाएगा। दुर्लभ खनिज मैग्नेट, विशेष रूप से नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) मैग्नेट, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटरों, पावर स्टीयरिंग सिस्टम, और ब्रेकिंग सिस्टम में अहम भूमिका निभाते हैं। चीन का इन खनिजों पर लगभग एकाधिकार है।


भारत के लिए संभावनाएं

भारत के लिए सकारात्मक पहलू यह है कि अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता, जो 19 जुलाई से पहले अंतिम रूप ले सकती है, भारत पर टैरिफ को 26% से घटाकर 10% के करीब ला सकती है। हालांकि, चीन की व्यापार वार्ताओं में बढ़त के कारण उसके टैरिफ में और कमी की संभावना है, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है। लंदन वार्ताओं में चीन ने दुर्लभ खनिजों पर प्रतिबंधों का उपयोग कर अपनी स्थिति मजबूत की, जिसके चलते अमेरिकी कार निर्माताओं जैसे फोर्ड और क्रिसलर को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी। भारत के लिए यह एक अवसर है कि वह अपनी व्यापार रणनीति को और मजबूत करे, लेकिन चीन की रणनीतिक बढ़त और अमेरिका की निर्भरता इसे जटिल बनाती है। नीति निर्माताओं को सतर्कता के साथ इस बदलते परिदृश्य में भारत की स्थिति को मजबूत करने की जरूरत है.