भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कौशल विकास की नई पहल

मोदी सरकार का नया ड्राफ्ट
मोदी सरकार का ड्राफ्ट: भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय उद्योगों और व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के लिए कौशल की कमी को दूर करने पर जोर दिया जा रहा है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने स्थानीय स्तर पर कौशल की मांग और उपलब्धता का अध्ययन करने का निर्णय लिया है, ताकि योजनाएं उसी के अनुसार बनाई जा सकें। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय का मानना है कि अब समय आ गया है कि केंद्रीय योजनाओं को राज्यों और जिलों की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला जाए।
रिपोर्ट से मिली जानकारी
मंत्रालय ने सभी राज्यों का जिलेवार अध्ययन पूरा कर लिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि किन क्षेत्रों में किस प्रकार के कुशल पेशेवरों की अधिक आवश्यकता है और मौजूदा स्किल गैप कितना बड़ा है। इस दिशा में एक रिपोर्ट हाल ही में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी द्वारा जारी की गई। इस रिपोर्ट में प्रत्येक राज्य की जिला कौशल विकास योजनाओं का संकलन किया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिला और राज्य स्तर पर बनाई गई योजनाएं अब राष्ट्रीय योजनाओं से सीधे जुड़ें, ताकि रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो सकें और उद्योगों को प्रशिक्षित श्रमबल आसानी से मिल सके।
सरकार की प्राथमिकताएं
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति 2015 में संशोधन कर इसे अधिक विकेंद्रीकृत और व्यावहारिक बनाया जाए। इसके तहत केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और जिला प्रशासन के बीच समन्वय को और मजबूत करने की योजना है। सरकार चाहती है कि स्थानीय प्रशासन न केवल कौशल विकास योजनाओं को अपनाए, बल्कि उन्हें बड़े राष्ट्रीय मिशनों जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, हरित भारत मिशन, दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, परमाणु ऊर्जा मिशन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ जोड़े। इससे कौशल विकास केवल एक योजना नहीं, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि का आधार बन सकेगा।
रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय
रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई हैं। सबसे पहले, डीएसडीपी के निर्माण की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की आधिकारिक भूमिका का हिस्सा बनाई जाए। इसके लिए हर जिले में समर्पित योजना इकाइयों की स्थापना की जानी चाहिए, जो जिला कौशल समितियों के साथ मिलकर कार्य करें। इन इकाइयों में प्रशिक्षित पेशेवर हों और इन्हें पर्याप्त तकनीकी और वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
इसके अलावा, योजना की पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखने के लिए निगरानी और मूल्यांकन का एक मजबूत ढांचा स्थापित करने की आवश्यकता बताई गई है। इससे योजनाओं का प्रभाव मापा जा सकेगा और समय-समय पर उनमें आवश्यक सुधार किए जा सकेंगे।
सरकार का मानना है कि जब जिलों की वास्तविक स्किल मांग और कमी की तस्वीर स्पष्ट होगी, तभी एक ठोस रोडमैप तैयार किया जा सकेगा। इससे न केवल बेरोजगारी में कमी आएगी, बल्कि उद्योगों और व्यवसायों के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन की समस्या भी हल होगी, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सशक्त बनाएगा।