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भारत-चीन व्यापार विवाद: इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी पर शिकायत

भारत और चीन के बीच एक नया व्यापारिक विवाद उभरा है, जिसमें चीन ने भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी निर्माण क्षेत्र में दी जा रही सब्सिडियों के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में शिकायत दर्ज की है। चीन का कहना है कि ये सब्सिडी उनके उद्योगों को नुकसान पहुंचा रही हैं। इस विवाद के बीच, भारत ने "नेशनल क्रिटिकल मिनरल स्टॉकपाइल" कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य रेयर अर्थ खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। जानें इस विवाद के संभावित प्रभाव और दोनों देशों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बारे में।
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भारत-चीन व्यापार विवाद: इलेक्ट्रिक वाहन सब्सिडी पर शिकायत

भारत और चीन के बीच व्यापारिक तनाव

भारत और चीन के बीच एक नया व्यापारिक विवाद सामने आया है। हाल की जानकारी के अनुसार, चीन ने भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी निर्माण क्षेत्र में दी जा रही सब्सिडियों के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में औपचारिक शिकायत दर्ज की है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने 15 अक्टूबर 2025 को दायर की गई इस शिकायत में कहा है कि भारत की प्रोत्साहन योजनाएं घरेलू उद्योगों को "अनुचित बढ़त" प्रदान कर रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में चीन के हित प्रभावित हो रहे हैं.


चीन के कड़े कदम

चीन ने कहा है कि वह अपने उद्योगों के अधिकारों की रक्षा के लिए "कड़े कदम" उठाने की योजना बना रहा है। उल्लेखनीय है कि चीन वर्तमान में वैश्विक ईवी बाजार में प्रमुख स्थान रखता है और Rho Motion के आंकड़ों के अनुसार, उसकी कुल ईवी बिक्री दुनिया में दो-तिहाई से अधिक है, जो लगभग 1.3 मिलियन यूनिट के बराबर है.


भारत का नया कार्यक्रम

यह शिकायत उस समय आई है जब भारत सरकार "नेशनल क्रिटिकल मिनरल स्टॉकपाइल (NCMS)" कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में रेयर अर्थ खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है। ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टरबाइनों और अन्य हरित ऊर्जा तकनीकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यह पहल भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकती है, खासकर जब चीन ने इन खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं.


भारत की सब्सिडी योजनाएं

नीति आयोग के ईवी पोर्टल के अनुसार, भारत सरकार वर्तमान में ईवी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न श्रेणियों में आकर्षक सब्सिडियां प्रदान कर रही है। दोपहिया वाहनों के लिए ₹15,000 प्रति kWh (कुल लागत का 40% तक), तिपहिया वाहनों के लिए ₹10,000 प्रति kWh, चारपहिया वाहनों के लिए ₹10,000 प्रति kWh और ई-बसों के लिए ₹20,000 प्रति kWh तक सब्सिडी दी जा रही है.


भारत की नीतियां

भारत की "फेम" (FAME – Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) योजना और "स्कीम फॉर मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक कार्स (SMEC)" जैसी नीतियां भी इसी दिशा में कार्य कर रही हैं। SMEC के तहत विदेशी कंपनियों को टैक्स लाभ तभी मिलेगा जब वे भारत में नई ग्रीनफील्ड ईवी इकाइयां स्थापित करेंगी.


भविष्य की संभावनाएं

कुल मिलाकर, चीन की यह WTO शिकायत दोनों देशों के बीच तकनीकी और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को एक नए स्तर पर ले जाती है। जहां भारत ईवी उत्पादन, खनिज भंडारण और हरित प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, वहीं चीन इसे अपने वैश्विक आर्थिक प्रभाव के लिए चुनौती के रूप में देख रहा है। यह विवाद आने वाले समय में वैश्विक ईवी बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.