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भारत ने अफगानिस्तान में दिव्यांगों के लिए कृत्रिम पैर भेजकर जीता दिल

भारत ने अफगानिस्तान में दिव्यांग नागरिकों के लिए कृत्रिम पैर भेजकर एक महत्वपूर्ण मानवीय पहल की है। इस पहल के तहत 75 दिव्यांग अफगानियों को बिना किसी शुल्क के कृत्रिम पैर प्रदान किए गए हैं। यह कदम न केवल भारत की कूटनीति को दर्शाता है, बल्कि अफगानिस्तान में मानवता की एक नई मिसाल भी पेश करता है। जानें इस पहल के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव के बारे में।
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भारत ने अफगानिस्तान में दिव्यांगों के लिए कृत्रिम पैर भेजकर जीता दिल

भारत की मानवीय पहल

हालांकि तालिबान का शासन बंदूक के बल पर है, भारत ने अफगानिस्तान में अपनी मानवीय पहल से सभी का दिल जीत लिया है। काबुल की सड़कों पर जयपुर फुट की गूंज सुनाई दे रही है, और यह भारत के लिए गर्व का क्षण है। भारत ने एक ऐसा कार्य किया है, जो न केवल कूटनीति का उदाहरण है, बल्कि दरियादिली का भी प्रतीक है।


भारत ने अफगानिस्तान के दिव्यांग नागरिकों के लिए कृत्रिम पैर, जिन्हें मेडिकल भाषा में प्रोस्थेटिक लिंब कहा जाता है, भेजे हैं। इस पहल के तहत, 75 दिव्यांग अफगानियों को कृत्रिम पैर लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। जैसे ही उन्हें ये पैर लगे, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।


जयपुर फुट का महत्व

भारत की विदेश नीति के अन्य पहलुओं में राफेल, ब्रह्मोस और आईएनएस विक्रांत शामिल हैं, लेकिन जयपुर फुट मानवता की एक अद्भुत मिसाल है। भारत सरकार के सहयोग से भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति ने काबुल में पांच दिवसीय कैंप का आयोजन किया, जिसमें 75 अफगानी नागरिकों को बिना किसी शुल्क के कृत्रिम पैर प्रदान किए गए।


इस पहल का उद्देश्य केवल सहायता करना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कारों का पालन करना भी है।


चीन के खिलाफ अफगानियों की हिम्मत

सूत्रों के अनुसार, भारत और भी दिव्यांग अफगानियों की सहायता करने की योजना बना रहा है। इन कृत्रिम पैरों के माध्यम से, अफगान नागरिक अब पाकिस्तान के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाने लगे हैं। हाल ही में, तालिबान सरकार ने चीन की एक तेल कंपनी के साथ किया गया अनुबंध रद्द कर दिया है, जो कि बीजिंग की बढ़ती ताकत के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है।


मंत्री के प्रवक्ता हमावुन अफ़ग़ान ने बताया कि यह निर्णय ठेकेदार द्वारा अनुबंध के उल्लंघन के कारण लिया गया।