भारत ने नौसेना की शक्ति में नया अध्याय जोड़ा, दो स्टील्थ फ्रिगेट का हुआ अनावरण
भारत की नौसेना में नई ताकत का समावेश
भारत ने वैश्विक राजनीतिक तनाव और टैरिफ विवादों के बीच अपनी नौसैनिक शक्ति को एक नई दिशा दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में, भारतीय नौसेना को दो अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट, आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि, औपचारिक रूप से सौंपे गए। इस अवसर पर सिंह ने कहा कि अब भारत के पास समुद्र में अपना खुद का 'तैरता एफ-35' है।अमेरिका और भारत के बीच एफ-35 लड़ाकू विमानों की संभावित बिक्री पर चर्चा हुई थी, लेकिन व्यापारिक टैरिफ के मुद्दों ने इस वार्ता को आगे बढ़ने से रोका है। राजनाथ सिंह ने कहा कि जब एक देश के पास हवा में उड़ने वाला एफ-35 है, वहीं भारतीय नौसेना के पास स्वदेशी तकनीक से निर्मित शक्तिशाली 'युद्धपोत एफ-35' है।
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि नौसेना केवल समुद्री सीमाओं की सुरक्षा नहीं करती, बल्कि यह भारत की आर्थिक सुरक्षा का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। समुद्री मार्गों पर ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा हिस्सा निर्भर करता है, इसलिए नौसेना की मजबूती राष्ट्र की स्थिरता से जुड़ी है।
राजनाथ सिंह ने यह स्पष्ट किया कि भारत कभी भी विस्तारवादी नीति में विश्वास नहीं करता और न ही किसी देश पर पहले हमला करता है। उन्होंने कहा कि यदि भारत की सुरक्षा पर खतरा मंडराता है, तो देश के पास हर स्तर पर जवाब देने की क्षमता है।
दिलचस्प बात यह है कि एफ-35 जैसे विमानों की खरीद पर भारत और अमेरिका के बीच कोई ठोस चर्चा नहीं हुई है। इस वर्ष फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच जो संयुक्त बयान जारी हुआ था, उसमें केवल यह उल्लेख किया गया था कि वॉशिंगटन भारत को पांचवीं पीढ़ी के विमानों और समुद्री प्रणालियों की आपूर्ति पर विचार करेगा।
आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि की बात करें तो, आईएनएस उदयगिरि को मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने तैयार किया है। यह प्रोजेक्ट 17A का दूसरा जहाज है और इसे अपनी श्रेणी का सबसे तेज़ पोत माना जाता है।
आईएनएस हिमगिरि, कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा निर्मित पहला पी-17ए पोत है। दोनों जहाज भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो की उपलब्धियों का प्रतीक हैं। खासकर, उदयगिरि को इस ब्यूरो की शतकीय उपलब्धि माना जा रहा है।
तकनीकी दृष्टि से, ये पी-17ए श्रेणी के जहाज लगभग 6,700 टन वजनी हैं और पुराने शिवालिक क्लास फ्रिगेट्स की तुलना में लगभग पांच प्रतिशत बड़े हैं। इनमें स्टील्थ तकनीक, रडार रिफ्लेक्शन कम करने वाला ढांचा, और भारतीय निर्माताओं द्वारा विकसित आधुनिक हथियार और सेंसर प्रणाली शामिल हैं।
इन जहाजों के शस्त्रागार में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी एमआर गन, 30 मिमी और 12.7 मिमी हथियार प्रणालियाँ शामिल हैं, जो इन्हें समुद्र में विभिन्न प्रकार के मिशनों को अंजाम देने में सक्षम बनाती हैं।