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भारत-न्यूजीलैंड व्यापार समझौता: किसानों और पेशेवरों के लिए नए अवसर

भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बनने के बाद, किसानों और पेशेवरों के लिए नए अवसरों का द्वार खुल गया है। इस समझौते से भारतीय कृषि उत्पादों को न्यूजीलैंड के बाजार में प्रवेश मिलेगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा, आईटी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी नए अवसर उत्पन्न होंगे। जानें इस समझौते के अन्य लाभ और इसके प्रभाव।
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भारत-न्यूजीलैंड व्यापार समझौता: किसानों और पेशेवरों के लिए नए अवसर

भारत-न्यूजीलैंड व्यापार समझौते का महत्व


किसानों को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगा भारत-न्यूजीलैंड व्यापार समझौता


भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बनने में केवल आठ महीने लगे। इस समझौते पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने खुशी व्यक्त की है, और उद्योग जगत ने भी इसकी सराहना की है। यह समझौता भारतीय किसानों के लिए नए अवसरों का द्वार खोलेगा, विशेषकर कृषि उत्पादों के क्षेत्र में।


इसमें फल, सब्जियां, मसाले, अनाज और प्रोसेस्ड फूड जैसे उत्पाद शामिल हैं। न्यूजीलैंड की उन्नत कृषि तकनीकों और उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना से भारतीय किसानों को उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।


आईटी और शिक्षा में लाभ

आईटी से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में मिलेगा फायदा


केंद्रीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि भारत ने कुछ संवेदनशील क्षेत्रों को इस समझौते से बाहर रखा है, जैसे डेयरी उत्पाद, चीनी, और कीमती धातुएं। इसका उद्देश्य किसानों और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करना है।


यह समझौता भारत के सेवा क्षेत्र के लिए नए अवसर प्रदान करेगा, जिसमें आईटी, वित्त, शिक्षा और पर्यटन शामिल हैं। स्वास्थ्य सेवाओं और छात्र गतिशीलता से जुड़े नए अवसर भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए उपलब्ध होंगे।


नौकरी के नए अवसर

कुशल रोजगार के लिए खुलेंगे नए रास्ते


यह समझौता भारतीय पेशेवरों के लिए टेम्पररी एम्प्लॉयमेंट एंट्री वीजा की नई व्यवस्था भी लाएगा, जिसमें 5,000 वीजा और तीन साल तक रहने की अनुमति होगी। इसमें आयुष चिकित्सक, योग प्रशिक्षक, और आईटी जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों के लिए अवसर शामिल हैं।


इसमें टैरिफ में कटौती के साथ-साथ नॉन-टैरिफ बाधाओं को दूर करने के लिए बेहतर नियामक सहयोग और पारदर्शिता भी शामिल है, ताकि निर्यातकों को बाजार में प्रभावी पहुंच मिल सके।