भारत में GST में प्रस्तावित बदलाव से ऑटोमोबाइल क्षेत्र को मिलेगी राहत
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) में प्रस्तावित बदलावों ने ऑटोमोबाइल क्षेत्र को फिर से चर्चा का विषय बना दिया है। लग्ज़री वाहनों पर कर में कमी से न केवल छोटे वाहनों की कीमतें घटेंगी, बल्कि महंगे सेडान और एसयूवी पर भी राहत मिलेगी। हालांकि, कुछ राज्यों ने उच्च श्रेणी की गाड़ियों पर अतिरिक्त सेस लगाने की मांग की है। छोटे वाहनों पर कर का बोझ घटने से ग्रामीण उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा। इस बदलाव का प्रभाव ईवी सेक्टर पर भी पड़ेगा। जानें इस मुद्दे पर और क्या है सरकार और उपभोक्ताओं की चिंताएँ।
Aug 22, 2025, 12:58 IST
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GST में प्रस्तावित बदलाव का प्रभाव
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) में प्रस्तावित संशोधनों ने ऑटोमोबाइल उद्योग को फिर से चर्चा का विषय बना दिया है। लग्ज़री वाहनों और 'सिन गुड्स' पर वर्तमान 50% कर को घटाकर 40% करने का सुझाव दिया गया है। यदि यह लागू होता है, तो न केवल छोटे और दोपहिया वाहनों की कीमतें कम होंगी, बल्कि महंगे सेडान और एसयूवी पर भी उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
कर की संरचना में बदलाव
वर्तमान में, चार मीटर से लंबी और अधिक इंजन क्षमता वाली गाड़ियों पर 28% GST और 22% सेस लगाया जाता है। यदि सेस को हटाकर एक समान 40% GST लागू किया गया, तो इन गाड़ियों की कीमतों में काफी कमी आ सकती है। हालांकि, कुछ राज्यों ने उच्च श्रेणी की गाड़ियों पर अतिरिक्त सेस लगाने की मांग की है ताकि उनके राजस्व में कमी न आए।
छोटे वाहनों पर कर में कमी
सरकारी सूत्रों के अनुसार, छोटे वाहनों और टू-व्हीलर्स पर कर का बोझ 29% से घटकर 18% हो सकता है। इसका सीधा लाभ आम उपभोक्ताओं को मिलेगा। भले ही एसयूवी खरीदने वालों के लिए मूल्य में कमी का अनुपात अधिक होगा, लेकिन यह कदम ग्रामीण और अर्धशहरी उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण राहत प्रदान कर सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST
वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों पर केवल 5% GST है। यदि पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले वाहनों पर कर में कमी की जाती है, तो ईवी और पारंपरिक वाहनों के बीच कर का अंतर घट जाएगा। वर्तमान में यह अंतर 23 प्रतिशत अंक है, जो प्रस्तावित कटौती के बाद 13 प्रतिशत अंक रह जाएगा। यह स्थिति ईवी क्षेत्र के लिए हानिकारक हो सकती है, खासकर दोपहिया वाहनों के लिए, जहाँ कीमत उपभोक्ताओं के लिए सबसे बड़ी बाधा है।
उपभोक्ताओं की चिंताएँ
सरकार और उपभोक्ताओं दोनों की चिंता है कि क्या ऑटोमोबाइल उद्योग वास्तव में इस कर कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाएगा। अतीत में कंपनियों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने टैक्स रियायतों का लाभ अपने पास रखा और कीमतों में अपेक्षित कमी नहीं की। भले ही एंटी-प्रॉफिटियरिंग क्लॉज लागू नहीं होता, लेकिन सरकार का दबाव रहेगा कि कंपनियाँ लाभ को कीमतों में दर्शाएँ ताकि मंदी झेल रहे ऑटो सेक्टर में मांग बढ़ सके।
भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि, प्रस्तावित GST दर में कटौती उपभोक्ताओं को राहत देने और ऑटो सेक्टर को प्रोत्साहन देने वाली पहल है। लेकिन इसके साथ ही राज्यों के राजस्व घाटे, ईवी सेक्टर के भविष्य और कंपनियों के लाभ बांटने की प्रवृत्ति जैसे सवाल भी उठते हैं। अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद अगले महीने लेगी, लेकिन यह निश्चित है कि यह निर्णय भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की दिशा और गति को गहराई से प्रभावित करेगा।