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भारत में जीएसटी संग्रह में अक्टूबर में हुई वृद्धि: जानें इसके पीछे के कारण

अक्टूबर 2025 में भारत का जीएसटी संग्रह 4.6% बढ़कर 1,95,936 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस वृद्धि का मुख्य कारण त्योहारी मांग और कर सुधार हैं। सकल घरेलू राजस्व में भी 2% की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए जीएसटी सुधारों से उपभोग में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। जानें इस विषय में और क्या खास है।
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भारत में जीएसटी संग्रह में अक्टूबर में हुई वृद्धि: जानें इसके पीछे के कारण

अक्टूबर 2025 में जीएसटी संग्रह में वृद्धि


भारत का माल और सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अक्टूबर 2025 में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,95,936 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सितंबर में यह आंकड़ा 1,87,346 करोड़ रुपये था। इस वृद्धि का मुख्य कारण त्योहारी मांग, बेहतर अनुपालन और हाल में किए गए कर सुधार हैं।


सकल घरेलू राजस्व में वृद्धि

अक्टूबर में सकल घरेलू राजस्व 2 प्रतिशत बढ़कर 1.45 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात कर में 12.84 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 50,884 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसके अलावा, जीएसटी रिफंड में साल-दर-साल 39.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे व्यवसायों को तरलता में राहत मिली। अगस्त 2025 में जीएसटी राजस्व 1.69 लाख करोड़ रुपये रहा था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.6 प्रतिशत अधिक था।


अप्रैल से अक्टूबर 2025 तक का जीएसटी संग्रह

अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच कुल जीएसटी संग्रह 13.89 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 12.74 लाख करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।


विशेषज्ञों की राय

केपीएमजी के अप्रत्यक्ष कर प्रमुख अभिषेक जैन ने कहा कि बढ़ा हुआ जीएसटी संग्रह भारत में मजबूत उपभोग और त्योहारी सीजन की सक्रियता को दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि अनुपालन और उपभोग दोनों सही दिशा में बढ़ रहे हैं।


डेलॉइट इंडिया के अप्रत्यक्ष कर विशेषज्ञ महेश जयसिंह ने इसे जीएसटी उत्सव का धमाका बताया। उनके अनुसार, जीएसटी दरों के युक्तिकरण और अनुपालन में सुधार के चलते संग्रह 1.96 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।


नए जीएसटी सुधारों का प्रभाव

सितंबर 2025 में जीएसटी परिषद ने अप्रत्यक्ष कर ढांचे को सरल बनाते हुए चार-दर वाले स्लैब को घटाकर दो कर दिया। 12% और 28% वाले अधिकांश उत्पादों को अब 5% और 18% की श्रेणी में स्थानांतरित किया गया है। यह कदम मध्यम वर्ग के लिए राहतकारी साबित होगा।


हालांकि, पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, जर्दा, अनिर्मित तंबाकू और बीड़ी जैसे उत्पाद इस दर परिवर्तन से बाहर रखे गए हैं। नई दरें 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हो चुकी हैं। इन बदलावों से भारतीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिलने की उम्मीद है।