Newzfatafatlogo

भारत में थोक महंगाई में सुधार के संकेत, कीमतों में स्थिरता

भारत में थोक महंगाई में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, जहां नवंबर में महंगाई दर -0.32 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह वृद्धि महंगाई में तेजी का संकेत नहीं है, बल्कि कीमतों में गिरावट की गति के धीमे पड़ने का संकेत है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता और अनाज की कीमतों में गिरावट के साथ, अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे दबाव से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। जानें इस स्थिति का क्या अर्थ है और नीति निर्माताओं के लिए क्या संभावनाएं हैं।
 | 
भारत में थोक महंगाई में सुधार के संकेत, कीमतों में स्थिरता

थोक महंगाई में कमी के संकेत

भारत में थोक महंगाई के मोर्चे पर दबाव अब कम होता नजर आ रहा है। नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर -0.32 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि अक्टूबर में यह -1.21 प्रतिशत थी। यह वृद्धि महंगाई में तेजी का संकेत नहीं है, बल्कि डिफ्लेशन यानी कीमतों में गिरावट की गति के धीमे पड़ने का संकेत है।


अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत

अक्टूबर में थोक महंगाई पिछले 12 महीनों के सबसे निचले स्तर पर थी। नवंबर का आंकड़ा दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था अब उस गहरे दबाव से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। इस सुधार का मुख्य कारण प्राथमिक वस्तुओं, विशेषकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट की गति का कम होना है।


खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता

हालांकि खाद्य वस्तुएं थोक महंगाई पर दबाव बनाए हुए हैं, लेकिन उनका प्रभाव पहले जितना तीव्र नहीं रहा है। सब्जियों की कीमतें सालाना आधार पर 20 प्रतिशत से अधिक गिर चुकी हैं, जबकि अक्टूबर में यह गिरावट लगभग 35 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। यह स्थिरता संकेत देती है कि बाजार में आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन धीरे-धीरे बन रहा है।


अनाज की कीमतों में गिरावट

अनाज की कीमतें नवंबर में पहली बार नकारात्मक दायरे में चली गई हैं। गेहूं की कीमतें, जो पहले ऊंची थीं, अब मामूली गिरावट दिखा रही हैं। दालों की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी है, जिसका कारण बेहतर उपलब्धता और सरकारी खरीद का दबाव कम होना है।


गैर-खाद्य वस्तुओं का प्रभाव

गैर-खाद्य प्राथमिक वस्तुओं ने थोक महंगाई को कुछ हद तक सहारा दिया है। तिलहन की कीमतों में नवंबर में तेज उछाल देखा गया है, जो सप्लाई से जुड़ी चुनौतियों और वैश्विक बाजार के संकेतों से संबंधित है। इस श्रेणी में महंगाई लगभग दो अंकों के करीब पहुंच गई है।


ईंधन और बिजली की कीमतों की स्थिति

ईंधन और बिजली की कीमतें लगातार दूसरे महीने भी नकारात्मक दायरे में बनी हुई हैं, हालांकि गिरावट की गति कुछ धीमी हुई है। कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस वैश्विक बाजार के रुझानों के चलते सालाना आधार पर सस्ते बने हुए हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी पिछले साल की तुलना में कम हैं।


निर्मित वस्तुओं की महंगाई

निर्मित वस्तुओं की महंगाई, जिसका डब्ल्यूपीआई में सबसे अधिक वजन होता है, नवंबर में हल्की नरमी के साथ सामने आई है। खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े उत्पादों में महंगाई दर एक प्रतिशत से नीचे आ गई है। खाद्य तेलों में भी पहले तिमाही की तेज बढ़त के बाद अब सुस्ती दिख रही है।


मुख्य विनिर्माण क्षेत्रों की स्थिति

रसायन, दवा, कपड़ा और धातु जैसे मुख्य विनिर्माण क्षेत्रों में मामूली बढ़त या हल्की गिरावट देखी गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लागत आधारित दबाव फिलहाल सीमित हैं। खुदरा महंगाई भी पिछले कुछ महीनों से दो प्रतिशत से नीचे बनी हुई है, जो असामान्य रूप से कम मानी जा रही है।


महंगाई पर नियंत्रण

कुल मिलाकर, थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर कीमतों का यह रुझान संकेत देता है कि महंगाई फिलहाल नियंत्रण में है। ऐसे में नीति निर्माताओं के पास आर्थिक गतिविधियों को सहारा देने के लिए लचीलापन बनाए रखने की गुंजाइश बनी हुई है, भले ही वैश्विक हालात अभी भी अनिश्चित बने हुए हैं।