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भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें: 29 सितंबर 2023 का अपडेट

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई हैं। 29 सितंबर 2023 को कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन विभिन्न शहरों में इनकी दरों में अंतर देखा गया। जानें कि ईंधन की कीमतों को क्या प्रभावित करता है और इसका उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर क्या असर पड़ता है।
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भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें: 29 सितंबर 2023 का अपडेट

पेट्रोल और डीजल की कीमतों की स्थिति

पेट्रोल डीजल की कीमतें आज: भारत में ईंधन की कीमतें उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रतिदिन बदलती हैं, जिसका प्रभाव आम जनता से लेकर उद्योगों तक पर पड़ता है। 29 सितंबर को कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन कई शहरों में इनकी दरों में थोड़ा अंतर देखा गया। आइए, इस विषय पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।


जून 2017 से भारत में गतिशील ईंधन मूल्य प्रणाली लागू है। इसके तहत हर सुबह 6:00 बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपडेट की जाती हैं। यह प्रणाली वैश्विक तेल कीमतों और मुद्रा विनिमय दरों पर आधारित है।


शहरों में ईंधन की कीमतें

भारत के प्रमुख शहरों में 29 सितंबर को ईंधन की कीमतें इस प्रकार रहीं:


दिल्ली:
पेट्रोल: ₹94.77 प्रति लीटर
डीजल: ₹87.67 प्रति लीटर


मुंबई:
पेट्रोल: ₹103.50 प्रति लीटर
डीजल: ₹90.03 प्रति लीटर


कोलकाता:
पेट्रोल: ₹104.95 प्रति लीटर
डीजल: ₹91.76 प्रति लीटर


चेन्नई:
पेट्रोल: ₹101.23 प्रति लीटर
डीजल: ₹92.34 प्रति लीटर


ईंधन की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक

भारत अपनी 80% से अधिक तेल आवश्यकताओं का आयात करता है। इसलिए, अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतें घरेलू कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। इसके अलावा, कई अन्य कारक भी कीमतों को प्रभावित करते हैं:



  • केंद्रीय उत्पाद शुल्क: केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया कर।

  • वैट: राज्य सरकारें विभिन्न दरों पर मूल्य वर्धित कर लगाती हैं।

  • परिवहन लागत: ईंधन को रिफाइनरी से पंप तक लाने की लागत।

  • डीलर और रिफाइनिंग मार्जिन: तेल कंपनियों और डीलरों का लाभ।


वर्तमान में, पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं हैं, जिसके कारण राज्य-स्तरीय करों से कीमतों में भिन्नता होती है।


उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर प्रभाव

हालांकि ईंधन की कीमतें स्थिर हैं, व्यवसायों पर दबाव बना हुआ है। परिवहन, लॉजिस्टिक्स और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में ईंधन की लागत उत्पादन खर्च को बढ़ाती है। इससे सामान की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो अंततः आम उपभोक्ताओं पर बोझ डालती हैं। आम लोग भी पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों से चिंतित हैं, क्योंकि यह उनके मासिक बजट को प्रभावित करता है। ईंधन की कीमतों में स्थिरता उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता के कारण भविष्य में कीमतें बढ़ सकती हैं।