भारत में श्रम सुधार: चार नए लेबर कोड का आगाज़ और उनके प्रभाव
श्रम सुधारों की नई शुरुआत
नई दिल्ली: 21 नवंबर से भारत में श्रम सुधारों का एक नया अध्याय शुरू हो गया है। केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पुराने 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार नए लेबर कोड लागू किए हैं। सरकार का मानना है कि यह परिवर्तन आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो देश की रोजगार व्यवस्था और औद्योगिक ढांचे को नई दिशा प्रदान करेगा।
पुराने कानूनों का समापन
कई श्रम कानून, जो लगभग एक सदी पुराने थे, अब अप्रासंगिक हो चुके थे। 1930 से 1950 के बीच बने इन नियमों में आधुनिक अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे गिग वर्क, प्लेटफॉर्म जॉब्स और प्रवासी श्रमिकों का उल्लेख नहीं था। नई व्यवस्था में इन सभी श्रमिकों को अधिकार और सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है, जिससे लगभग 40 करोड़ कामगारों को औपचारिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज मिलेगी, जो भारत की आधी से अधिक वर्कफोर्स के लिए पहली बार एक बड़ी राहत है।
नियुक्ति पत्र और समय पर वेतन की अनिवार्यता
नए लेबर कोड के तहत हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र प्रदान करना अनिवार्य होगा। न्यूनतम वेतन का नियम अब पूरे देश में लागू होगा, जिससे किसी भी श्रमिक को अत्यधिक कम वेतन पर शोषित नहीं किया जा सकेगा। समय पर वेतन देना भी अब कानूनी रूप से आवश्यक है, जिससे रोजगार संबंधी पारदर्शिता में वृद्धि होगी।
40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य परीक्षण
कर्मचारियों की सेहत को प्राथमिकता देते हुए, नए कानून में 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों को मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच का अधिकार दिया गया है। खतरनाक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को 100% स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी। ठेका श्रमिकों को भी स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे।
ग्रेच्युटी की नई व्यवस्था
पहले 5 साल की नौकरी के बाद ग्रेच्युटी मिलती थी, लेकिन नए कोड में इसे घटाकर केवल 1 वर्ष कर दिया गया है। यह परिवर्तन निजी क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा साबित होगा।
महिलाओं के लिए सुरक्षित नाइट शिफ्ट
नए कानून के तहत महिलाओं को रात में काम करने की अनुमति दी गई है, बशर्ते उनकी सहमति हो और कार्यस्थल पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था हो। इसके साथ ही, महिलाओं को समान वेतन और सम्मान देने की कानूनी गारंटी भी दी गई है। ट्रांसजेंडर कर्मचारियों को भी समान अधिकार और अवसर प्रदान किए जाएंगे।
गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों की कानूनी पहचान
डिजिटल युग में तेजी से बढ़ रहे गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक जैसे कैब ड्राइवर, डिलीवरी पार्टनर और फ्रीलांसर अब आधिकारिक रूप से श्रमिक माने जाएंगे। उन्हें पीएफ, बीमा, पेंशन जैसी सुविधाएं मिलेंगी। एग्रीगेटर कंपनियों को अपने टर्नओवर का 1-2% सामाजिक सुरक्षा फंड में देना होगा।
ओवरटाइम के लिए दुगना भुगतान
कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए नए कोड में ओवरटाइम पर दुगना वेतन देने का प्रावधान किया गया है।
कॉन्ट्रैक्ट श्रमिकों को स्थाई कर्मचारियों जैसी सुरक्षा
कॉन्ट्रैक्ट श्रमिकों को अब स्थाई कर्मचारियों जैसी कई सुविधाएं मिलेंगी। प्रवासी और असंगठित श्रमिक भी सामाजिक सुरक्षा दायरे में आएंगे।
कानूनी प्रक्रियाओं में सरलता
कई प्रकार की रजिस्ट्रेशन और रिपोर्टिंग की जगह अब एकल लाइसेंस और एकल रिटर्न मॉडल लागू होगा। इससे उद्योगों पर कानूनी बोझ कम होगा और निवेश में आसानी होगी। विवादों के निपटारे के लिए दो-सदस्यीय ट्राइब्यूनल बनाए जाएंगे, जहां कर्मचारी सीधे शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
