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भारत में सरकारी वेतन संरचना: पे कमीशनों का विकास और भविष्य

भारत में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की संरचना में पे कमीशनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्वतंत्रता के बाद से अब तक सात पे कमीशन गठित किए जा चुके हैं, जिन्होंने कर्मचारियों के न्यूनतम और अधिकतम वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इस लेख में, हम इन पे कमीशनों के इतिहास, उनके उद्देश्यों और भविष्य के आठवें पे कमीशन की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे ये आयोग सरकारी कर्मचारियों के लिए बेहतर वेतन सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।
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भारत में सरकारी वेतन संरचना: पे कमीशनों का विकास और भविष्य

भारत में पे कमीशनों का इतिहास

भारत की स्वतंत्रता के बाद से, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा के लिए विभिन्न पे कमीशनों का गठन किया गया है। अब तक कुल सात पे कमीशन स्थापित किए जा चुके हैं, जिन्होंने सरकारी कर्मचारियों के न्यूनतम और अधिकतम वेतन में महत्वपूर्ण वृद्धि की है। इनका उद्देश्य बदलती आर्थिक परिस्थितियों और महंगाई के अनुसार कर्मचारियों के पारिश्रमिक को उचित बनाए रखना है।


पे कमीशन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारियों को एक प्रतिस्पर्धी वेतन मिले, जो मौजूदा आर्थिक माहौल के अनुरूप हो। ये आयोग देश की आर्थिक स्थिति, महंगाई दर और सरकार के वित्तीय स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सिफारिशें करते हैं। इसके साथ ही, ये वेतन असमानताओं को कम करने और कर्मचारियों की संतुष्टि बढ़ाने का प्रयास भी करते हैं।


सात पे कमीशनों का सफर

प्रथम पे कमीशन (1946-1947): यह स्वतंत्रता के बाद का पहला आयोग था, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों के लिए 'जीवन यापन योग्य मजदूरी' सुनिश्चित करना था।
न्यूनतम वेतन: ₹55 प्रति माह
अधिकतम वेतन: ₹2,000 प्रति माह


द्वितीय पे कमीशन (1957-1959): इसने न्यूनतम वेतन को ₹80 प्रति माह तक बढ़ाया।
न्यूनतम वेतन: ₹80 प्रति माह
अधिकतम वेतन: ₹3,000 प्रति माह (अनुमानित)


तृतीय पे कमीशन (1970-1973): इस आयोग ने मुद्रास्फीति का मुकाबला करने और सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों के बीच वेतन समानता पर जोर दिया।
न्यूनतम वेतन: ₹185 प्रति माह
अधिकतम वेतन: ₹3,500 प्रति माह (अनुमानित)


चतुर्थ पे कमीशन (1983-1986): इसका उद्देश्य वेतन असमानताओं को कम करना और प्रदर्शन-आधारित वेतन संरचना को बढ़ावा देना था।
न्यूनतम वेतन: ₹750 प्रति माह


पंचम पे कमीशन (1994-1997): इसने 'नई वेतन श्रृंखला' की अवधारणा पेश की।
न्यूनतम वेतन: ₹2,550 प्रति माह


षष्ठम पे कमीशन (2006-2008): इसने सरकारी कर्मचारियों के वेतन में महत्वपूर्ण वृद्धि की और ग्रेड पे प्रणाली का परिचय दिया।
न्यूनतम वेतन: ₹7,000 प्रति माह
अधिकतम वेतन: ₹80,000 प्रति माह


सप्तम पे कमीशन (2014-2016): 2016 में लागू हुआ, जिसने वेतन, भत्ते और पेंशन में लगभग 14.27% से 23.55% की वृद्धि की सिफारिश की।
न्यूनतम वेतन: ₹18,000 प्रति माह
अधिकतम वेतन: ₹2,50,000 प्रति माह (एपेक्स स्केल/कैबिनेट सचिव के लिए)


वेतन में समग्र वृद्धि

आजादी के बाद से, सरकारी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में ₹55 से ₹18,000 प्रति माह तक की भारी वृद्धि हुई है, जो लगभग 32,727% है। वहीं, वरिष्ठ अधिकारियों का अधिकतम वेतन ₹2,000 से बढ़कर ₹2,50,000 प्रति माह हो गया है, जो लगभग 12,500% की वृद्धि दर्शाता है।


आठवां पे कमीशन: जनवरी 2025 में आठवें पे कमीशन के गठन को मंजूरी दी गई है, जिसके 2026 से लागू होने की उम्मीद है। इसके तहत न्यूनतम वेतन ₹34,560 से ₹51,480 और अधिकतम वेतन ₹4.8 लाख प्रति माह तक पहुंचने का अनुमान है, जो लगभग 30-34% की वृद्धि का संकेत देता है।