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भारत में सोने की खरीदारी के बदलते रुझान: हल्के गहनों की बढ़ती मांग

भारत में सोने की कीमतों में हालिया वृद्धि ने उपभोक्ताओं के खरीदारी के तरीके को बदल दिया है। लोग अब हल्के गहनों की ओर बढ़ रहे हैं और सिक्के तथा बार को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस लेख में जानें कि कैसे वैश्विक बाजार की स्थिति और महंगाई ने सोने की मांग को प्रभावित किया है और भविष्य में क्या संभावनाएं हैं।
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भारत में सोने की खरीदारी के बदलते रुझान: हल्के गहनों की बढ़ती मांग

सोने की कीमतों में वृद्धि और उपभोक्ता व्यवहार

देशभर में कई परिवार वर्तमान में सोने के गहनों से दूरी बनाते हुए सिक्कों और बार की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि वे मेकिंग चार्ज को 15 प्रतिशत तक उचित नहीं मानते। भारत, जो कि दुनिया के सबसे बड़े सोने के बाजारों में से एक है, में सोना केवल निवेश का साधन नहीं है, बल्कि यह परंपरा और भावनात्मक संबंध का प्रतीक भी है। हाल के वर्षों में सोने की कीमतों में आई भारी वृद्धि ने उपभोक्ताओं के खरीदारी के तरीके में बदलाव ला दिया है।


वैश्विक बाजार में सोने की कीमतों का प्रभाव

हालिया आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग, अमेरिका में ब्याज दरों में कमी और डॉलर की कमजोरी के कारण सोने की कीमतों में लगभग 67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 26 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 4,549.7 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। भारत में घरेलू सोने की कीमतें इस वर्ष लगभग 77 प्रतिशत बढ़ी हैं, जबकि निफ्टी 50 में केवल 9.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।


उपभोक्ताओं की नई प्राथमिकताएं

कोलकाता की निबेदिता चक्रवर्ती का कहना है कि वे अब हल्के डिजाइन के गहनों को प्राथमिकता दे रही हैं, क्योंकि वजन में थोड़ी कमी से हजारों रुपये की बचत हो सकती है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि उपभोक्ता अब गहनों के डिजाइन और मूल्य दोनों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।


हल्के गहनों की बढ़ती मांग

पीएन गाडगिल ज्वेलर्स के चेयरमैन सौरभ गाडगिल के अनुसार, ग्राहक ऐसे गहनों की तलाश कर रहे हैं जो सोने के स्वामित्व को बनाए रखें, लेकिन कीमतों का दबाव न डालें। यही कारण है कि हल्के और कम कैरेट वाले गहनों की मांग में वृद्धि हो रही है।


भारत में सोने की मांग में बदलाव

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, 2025 के पहले नौ महीनों में भारत में सोने की कुल मांग 14 प्रतिशत कम हुई है। इस दौरान आभूषणों की खपत 26 प्रतिशत घटकर 278 टन रह गई, जबकि निवेश के लिए सोने की खरीद 13 प्रतिशत बढ़कर 185 टन तक पहुंच गई। कुल मांग में निवेश का हिस्सा अब रिकॉर्ड 40 प्रतिशत हो गया है।


भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान भविष्य में भी जारी रह सकता है। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी के अनुसार, लोग अब सिक्के, बार और गोल्ड ईटीएफ जैसे विकल्पों को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि सोने की कीमतों में आगे भी वृद्धि हो सकती है।


ज्वेलरी की मांग में संभावित गिरावट

मेटल्स फोकस का अनुमान है कि 2026 तक ज्वेलरी की मांग में और गिरावट आ सकती है। वहीं, 18 और 14 कैरेट के गहनों की स्वीकार्यता विशेष रूप से युवा और कामकाजी वर्ग में तेजी से बढ़ रही है। कुल मिलाकर, महंगाई और रिकॉर्ड कीमतों के बीच भारत में सोने की चमक अब एक नए रूप में दिखाई दे रही है।