भारत में सोने की मांग: सांस्कृतिक और आर्थिक कारक

भारत का सोने में दूसरा स्थान
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार, भारत की सोने की मांग में दूसरा स्थान है।
सोने की मांग में भारतीयों की रुचि: चाहे दाम कितने भी हों, हर भारतीय की ख्वाहिश होती है कि वह अधिक से अधिक सोना खरीदे। यही कारण है कि सोने की कीमत 1,25,000 रुपये के पार पहुंचने के बावजूद, भारतीय बाजार में इसकी मांग बनी हुई है। इस कारण, वैश्विक स्तर पर सोने की खपत में भारत का स्थान चीन के बाद आता है।
डब्ल्यूजीसी के अनुसार, भारत के पास जून तक कुल 34,600 टन सोना था, जिसका मूल्य वर्तमान में 4,056 डॉलर प्रति औंस के हिसाब से लगभग 3,785 अरब डॉलर है। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, यह राशि देश के जीडीपी का लगभग 88.8 प्रतिशत है। वर्तमान बाजार मूल्य पर, यह भारतीय परिवारों के पास मौजूद इक्विटी स्टॉक होल्डिंग का लगभग 3.1 गुना है, जिसका मूल्य 1,185 अरब डॉलर है।
भारत का सोने का बाजार
भारत का सोने का बाजार: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े सोने के बाजारों में से एक है। इसका कारण इस धातु के प्रति सांस्कृतिक लगाव, निवेश की मांग और आर्थिक कारक हैं। सोने को मूल्य के भंडार, महंगाई से सुरक्षा और सुरक्षित संपत्ति के रूप में देखा जाता है, जिससे यह भारतीय परिवारों के लिए एक अमूल्य संपत्ति बन गया है।
डब्ल्यूजीसी के अनुसार, जून 2025 तक भारत की वैश्विक सोने की मांग में लगभग 26 प्रतिशत हिस्सा था, जबकि पिछले 5 वर्षों का औसत 23 प्रतिशत था। भारत में सोने की मांग में आभूषणों की हिस्सेदारी दो-तिहाई है, जबकि खुदरा निवेश साधनों का हिस्सा 5 वर्षों में 23.9 प्रतिशत से बढ़कर जून 2025 तक 32 प्रतिशत हो गया है।
भारत की वार्षिक सोने की खपत
भारत की वार्षिक सोने की खपत: वॉल्यूम के हिसाब से, भारत की वार्षिक सोने की खपत 2021 से 750 से 840 टन के बीच रही है। यह जून 2011 में 1,145 टन के उच्च स्तर से काफी कम है। हालांकि, घरेलू सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण, मूल्य के हिसाब से सोने की खपत जून 2025 में 68 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। जून 2023 में यह 44 अरब डॉलर थी।