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भारत-यूएई की नई साझेदारी: दवाओं का व्यापार भारतीय रुपए में

भारत और यूएई ने एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसमें दवाओं का व्यापार भारतीय रुपए और यूएई दिरहम में होगा। यह कदम न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार पर भी प्रभाव डालेगा। भारत को 'फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड' कहा जाता है, और यह साझेदारी स्वास्थ्य क्षेत्र में नए अवसरों को जन्म देगी। जानें इस पहल के पीछे की रणनीतियाँ और इसके संभावित लाभ।
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भारत-यूएई की नई साझेदारी: दवाओं का व्यापार भारतीय रुपए में

भारत और यूएई के बीच नई आर्थिक पहल

दौलत की मजबूती से सेहत भी मजबूत होती है, और यही बात भारत और यूएई की नई साझेदारी पर लागू होती है। जहां एक ओर अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाया है, वहीं दूसरी ओर भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने एक नई पहल की शुरुआत की है। यह पहल न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र को सशक्त बनाएगी, बल्कि डॉलर की प्रभुत्व को भी चुनौती देगी। अब भारत से यूएई को दवाएं भेजी जाएंगी, और यह लेन-देन डॉलर के बजाय भारतीय रुपए और यूएई दिरहम में होगा। यह कदम दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा और वैश्विक व्यापार पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। भारत और यूएई ने फार्मा क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने के लिए बातचीत की है, साथ ही एक स्थानीय निपटान मुद्रा प्रणाली की शुरुआत की है, जिससे भारत-यूएई व्यापार में अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता कम होगी।


आर्थिक रिश्तों में नई ऊंचाई

यह पहल दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएगी और लेन-देन की लागत को कम करेगी। भारत को 'फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड' कहा जाता है, और जेनरिक दवाओं तथा वैक्सीन की आपूर्ति में इसकी स्थिति मजबूत है। दूसरी ओर, यूएई मध्य पूर्व और अफ्रीका के लिए एक महत्वपूर्ण गेटवे है। इसका मतलब है कि यदि दवाएं यूएई पहुंचती हैं, तो वे आसानी से खाड़ी और अफ्रीकी देशों में पहुंचाई जा सकेंगी। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों के संदर्भ में फार्मा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी। दोनों पक्षों ने फार्मास्यूटिकल्स और स्वास्थ्य सेवा उत्पादों के व्यापार को और सुविधाजनक बनाने के तरीकों पर विचार साझा किए। बैठक के बाद, गोयल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि चर्चा का केंद्र भारतीय फार्मा उद्योग के लिए नए अवसरों की खोज, नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और मानकों की पारस्परिक मान्यता पर था, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करना था।


निर्यात को सुगम बनाने की दिशा में कदम

संयुक्त अरब अमीरात के विदेश व्यापार मंत्री, डॉ. थानी बिन अहमद अल ज़ायौदी के साथ बैठक की सह-अध्यक्षता करते हुए, हितधारकों ने निर्यात को सुगम बनाने के लिए भारतीय सुविधाओं के नियामक निरीक्षण में तेजी लाने पर चर्चा की। इसके अलावा, उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने पारंपरिक चिकित्सा में उभरते अवसरों पर भी विचार साझा किए, जिसमें आयुर्वेदिक उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया गया।