भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की ISS से विदाई, कल होगी पृथ्वी पर वापसी

अंतरिक्ष में 17 दिन बिताने के बाद विदाई समारोह
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने रविवार शाम को अंतरिक्ष में 17 दिन बिताने के बाद विदाई समारोह का आयोजन किया। यह विशेष कार्यक्रम भारतीय समयानुसार शाम 7:25 बजे आयोजित हुआ। एक्सिओम-4 मिशन का यह दल सोमवार को पृथ्वी पर लौटने की योजना बना रहा है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर उनका 18 दिवसीय मिशन सोमवार को समाप्त होगा। इस दल को कैलिफोर्निया तट पर उतरने की उम्मीद है। यह मिशन 25 जून को लॉन्च हुआ था और 26 जून को ISS पहुंचा था। विदाई समारोह में शुभांशु ने भारत के लिए एक संदेश देते हुए कहा कि 41 साल पहले एक भारतीय ने अंतरिक्ष में यात्रा की थी और आज भी भारत का दृश्य अद्भुत है।
शुभांशु शुक्ला का ऐतिहासिक मिशन
एक्सिओम-4 मिशन के तहत भारत ने पहली बार किसी अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा है। शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनकर एक नया इतिहास रच दिया है। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत रूस के सैल्यूट-7 मिशन के तहत अंतरिक्ष में उड़ान भरी थी। विदाई समारोह का लाइवस्ट्रीम एक्सिओम स्पेस के एक्स हैंडल पर दिखाया गया।
मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री
एक्सिओम-4 मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं: क्रू- कमांडर पेगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला, पोलैंड के मिशन विशेषज्ञ स्लावोस्ज उज़्नांस्की-विस्निवस्की, और हंगरी के मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापु। यह दल सोमवार को भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे ISS से रवाना होगा।
अनडॉकिंग का समय
सोमवार को सुबह 7:05 बजे पूर्वी मानक समय (भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे) से पहले उनके अनडॉकिंग की उम्मीद नहीं है। नासा इस प्रक्रिया का सीधा प्रसारण करेगा। वर्तमान में ISS पर 11 अंतरिक्ष यात्री हैं, जिनमें से चार एक्सिओम-4 मिशन के हैं।
आईएसएस पर अंतिम भोज
एक्सिओम-4 मिशन के समापन के समय, ISS पर मौजूद अंतरिक्ष यात्री उन छह देशों के विभिन्न मेनू वाले भोज के लिए एकत्रित हुए। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम ने कहा कि यह उनके लिए एक अविस्मरणीय शाम थी, जिसमें उन्होंने नए दोस्तों के साथ भोजन साझा किया।
स्पेस रिसर्च से धरती पर मरीजों को राहत
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में मायोजेनेसिस नामक प्रयोग पर काम किया, जिसका उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष में रहने से मांसपेशियां क्यों कमजोर होती हैं। वैज्ञानिक यदि इन बदलावों के जैविक कारणों को समझ पाते हैं, तो वे ऐसे इलाज विकसित कर सकते हैं जो पृथ्वी पर मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं।
माइक्रो ग्रेविटी में रक्त प्रवाह का अध्ययन
अंतरिक्ष यात्रियों ने मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह की गति और दिशा का अध्ययन किया। इसके लिए अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग किया गया ताकि यह समझा जा सके कि माइक्रोग्रैविटी में खून कैसे बहता है।
स्पलैशडाउन के बाद का कार्यक्रम
इसरो के अनुसार, स्पलैशडाउन के बाद शुभांशु शुक्ला को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने के लिए एक पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा।
इसरो का खर्च
रिपोर्ट के अनुसार, इसरो ने शुभांशु शुक्ला की आईएसएस यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया।