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भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती: निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि

भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है, जिसमें नवंबर में निर्यात में 19.4 प्रतिशत की वृद्धि शामिल है। यह वृद्धि अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों में भारतीय उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण हुई है। मोदी सरकार की नीतियों ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे भारत ने 'डेड इकॉनमी' कहने वालों को ठोस आंकड़ों के माध्यम से जवाब दिया है। जानें इस आर्थिक मजबूती के पीछे के कारण और भविष्य की संभावनाएं।
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भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती: निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि

भारतीय अर्थव्यवस्था का ठोस प्रदर्शन

वैश्विक आर्थिक चुनौतियों, अमेरिकी टैरिफों और भारत के प्रति नकारात्मक टिप्पणियों के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक मजबूत प्रदर्शन किया है, जिसने आलोचकों को चुप कर दिया है। नवंबर में भारत के निर्यात में 19.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 38.1 अरब डॉलर तक पहुंच गई, और यह पिछले तीन वर्षों में सबसे तेज़ वृद्धि है। यह वृद्धि अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों में भारतीय उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण संभव हुई है.


मोदी सरकार की नीतियों का प्रभाव

ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि मोदी सरकार की व्यापार और आर्थिक नीतियां न केवल संतुलित हैं, बल्कि वैश्विक झटकों का सामना करने में सक्षम भी हैं। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के बावजूद, नवंबर में अमेरिका को भारत का निर्यात 22.6 प्रतिशत बढ़कर लगभग 7 अरब डॉलर हो गया। वहीं, चीन को निर्यात में रिकॉर्ड 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस प्रकार, नवंबर में चीन भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन गया।


आर्थिक रिश्तों की मजबूती

वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि टैरिफ के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में मजबूती बनी हुई है, और आयात में 38 प्रतिशत की वृद्धि दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों की गहराई को दर्शाती है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि त्योहारों के बाद मांग में संतुलन और आपूर्ति श्रृंखला के सामान्य होने से निर्यात को बढ़ावा मिला है। इंजीनियरिंग वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न और आभूषण, फार्मा, रसायन, पेट्रोलियम उत्पाद और वस्त्र क्षेत्र ने निर्यात वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.


वित्त मंत्री का जवाब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को 'डेड इकॉनमी' कहे जाने के बयान का तथ्यात्मक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि 8.2 प्रतिशत की तिमाही वृद्धि दर, लगातार चार वर्षों से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होना और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों द्वारा सॉवरेन रेटिंग में सुधार, ये सब किसी भी तरह से 'मृत अर्थव्यवस्था' के संकेत नहीं हो सकते.


भारत की आर्थिक स्थिति

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ और बयान का जवाब नतीजों से दिया गया है, जो मोदी सरकार की सबसे बड़ी ताकत है। जहां विपक्ष और विदेशी आलोचक शब्दों के तीर चलाते रहे, वहीं भारत ने आंकड़ों के माध्यम से जवाब दिया। मोदी सरकार ने कभी भी तात्कालिक बयानबाज़ी में ऊर्जा नहीं गंवाई। 'डेड इकॉनमी' कहने वालों को जवाब देने के लिए न तो ट्विटर युद्ध छेड़ा गया और न ही कूटनीतिक शोर मचाया गया.


उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार

अमेरिका जैसे देश द्वारा भारी टैरिफ लगाए जाने के बावजूद निर्यात में वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि भारतीय उत्पाद अब गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा के आधार पर खड़े हैं। चीन जैसे कठिन बाजार में निर्यात का 90 प्रतिशत बढ़ना यह दर्शाता है कि भारत ने एक-दो बाजारों पर निर्भर रहने की पुरानी सोच को पीछे छोड़ दिया है। यह वही 'मार्केट डाइवर्सिफिकेशन' है, जिसकी बात मोदी सरकार वर्षों से कर रही है.


आर्थिक बदलाव के संकेत

आयात में सोने और कच्चे तेल जैसी गैर-उत्पादक वस्तुओं की कमी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में वृद्धि यह संकेत देती है कि भारत की खपत अब अधिक समझदार और उत्पादन-उन्मुख हो रही है। यह बदलाव किसी संयोग का नतीजा नहीं, बल्कि मेक इन इंडिया, पीएलआई योजनाओं और बुनियादी ढांचे में भारी निवेश का परिणाम है.


भारत की आर्थिक मजबूती

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में सही कहा कि आर्थिक मजबूती का आकलन बयान से नहीं, डेटा से होता है। 8 प्रतिशत से अधिक की विकास दर, रेटिंग अपग्रेड और घटता कर्ज अनुपात यह दिखाते हैं कि भारत 'फ्रैजिलिटी से फोर्टिट्यूड' की ओर बढ़ चुका है. आज भारत न केवल ट्रंप के टैरिफों को झेल रहा है, बल्कि वैश्विक आर्थिक मंच पर आत्मविश्वास के साथ अपनी जगह भी बना रहा है.