भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर: 7% की संभावना
आईएमएफ की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री का अनुमान
वर्तमान वैश्विक व्यापारिक स्थिति
इस समय पूरी दुनिया व्यापारिक अनिश्चितताओं का सामना कर रही है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ के कारण भारत को पिछले चार महीनों से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही, भारतीय मुद्रा भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही है। लेकिन, भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर इस सबके बीच एक सकारात्मक संकेत है। अनुमान है कि देश की जीडीपी लगभग 7% की दर से बढ़ेगी।
आरबीआई का सकारात्मक अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी विकास दर के लिए 7% से अधिक की संभावना जताई है। यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा दिए गए 6.6% के अनुमान से बेहतर है, जो अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। गीता गोपीनाथ, जो आईएमएफ की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री हैं, ने कहा कि यह आंकलन राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के जुलाई-सितंबर तिमाही के आंकड़ों से पहले किया गया था, जिसमें विकास दर 8.2% रही।
2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य
गीता गोपीनाथ के अनुसार, यदि भारत अगले 20 वर्षों तक लगभग 8% की विकास दर बनाए रखता है, तो 2047 तक विकसित देश बनने के लक्ष्य के करीब पहुंच सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि इतनी लंबी अवधि तक उच्च विकास दर बनाए रखना आसान नहीं होगा। इसके लिए निरंतर आर्थिक सुधार, निवेश में वृद्धि और उत्पादकता में सुधार की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार संकट से पहले की भविष्यवाणियों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
अमेरिका में चुनावी अनिश्चितता
टैरिफ दरें बढ़ी हैं, लेकिन अमेरिकी दृष्टिकोण से चरम टैरिफ का दौर समाप्त हो चुका है। 2026 में अमेरिका में मध्यावधि चुनाव होने वाले हैं, और चुनाव से पहले अनिश्चितता की संभावना कम मानी जा रही है।
