भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5% से अधिक रहने की उम्मीद

भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती
भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है, और चालू वित्त वर्ष 2025-26 में इसे 6.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर प्राप्त करने में कोई बाधा नहीं आएगी। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य नागेश कुमार ने रविवार को साझा की।
कुमार ने एक साक्षात्कार में बताया कि भारत की स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में बेहतर बनी हुई है। उन्होंने कहा, "वास्तव में, एक-तिहाई से अधिक वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं ऋण संकट का सामना कर रही हैं, जबकि औद्योगिक देशों में भारी दबाव और ऊंची मुद्रास्फीति के कारण आर्थिक वृद्धि में सुस्ती आई है।"
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू खपत और निवेश पर निर्भर है, जो इसे तेजी से आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। कुमार ने आगे कहा, "मुझे इस वित्त वर्ष और अगले वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर में कोई समस्या नहीं दिखती।"
कुमार ने यह भी उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में यह वृद्धि दर 7 से 7.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। पिछले वित्त वर्ष में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
मुद्रास्फीति के बारे में पूछे जाने पर, कुमार ने कहा कि वर्तमान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगभग 2 प्रतिशत है, जो मौद्रिक नीति समिति द्वारा अपनाई गई नीतियों का परिणाम है।
उन्होंने कहा, "अगर मुद्रास्फीति किसी महीने में 2 प्रतिशत तक गिरती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह इसी स्तर पर स्थिर रहेगी।"
केंद्रीय बैंक ने इस वर्ष प्रमुख नीतिगत दर में 1 प्रतिशत की कटौती की है, और जून में मुख्य मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले घटकर 2.1 प्रतिशत रह गई है।
कुमार ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति केवल मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर नहीं, बल्कि अन्य सभी वृहद आंकड़ों पर भी ध्यान देगी।
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर कुमार ने कहा कि यदि यह समझौता सफल होता है, तो भारत को श्रम-प्रधान क्षेत्रों में अमेरिका के बड़े बाजार तक पहुंच प्राप्त होगी।
उन्होंने बताया कि भारत को अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खोलने में कुछ चिंताएं हैं।
कुमार ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि हो रही है, जो 71 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 81 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।