भारतीय एनबीएफसी के लिए शिक्षा ऋण वृद्धि में कमी का अनुमान

शिक्षा ऋण में गिरावट की आशंका
अमेरिका में नीतिगत अस्थिरता और वीजा नियमों में कड़ाई के चलते वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए शिक्षा ऋण की वृद्धि दर आधी होने की संभावना है। क्रिसिल रेटिंग्स ने बुधवार को इस संबंध में अपनी चिंताओं को व्यक्त किया।
क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वित्त वर्ष में शिक्षा ऋण की वृद्धि दर 25 प्रतिशत तक सीमित रहने का अनुमान है, जबकि पिछले दो वित्त वर्षों में यह दर लगभग 50 प्रतिशत रही थी।
क्रिसिल की निदेशक मालविका भोटिका ने कहा कि अमेरिका में वीजा आवंटन में कमी और वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण मानदंडों को समाप्त करने के प्रस्ताव ने नए ऋण स्रोतों को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि इस कारण पिछले वित्त वर्ष में अमेरिकी क्षेत्र में कुल ऋण वितरण में 30 प्रतिशत की कमी आई है।
कनाडा, जो दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, वहां भी ऋण वितरण में गिरावट देखी गई है। छात्रों को वीजा देने के सख्त नियमों के कारण वित्तीय प्रावधानों में वृद्धि और परमिट सीमाएं लागू की गई हैं।
इन कारणों से पिछले वित्त वर्ष में कुल शिक्षा ऋण वितरण केवल 8 प्रतिशत बढ़ा, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 50 प्रतिशत से काफी कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन चुनौतियों के मद्देनजर एनबीएफसी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और अब वे ब्रिटेन, जर्मनी, आयरलैंड जैसे वैकल्पिक गंतव्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इन देशों की हिस्सेदारी कुल ऋण वितरण में 2024-25 में लगभग 50 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो एक साल पहले 25 प्रतिशत थी।
इन परिस्थितियों में, कुल शिक्षा ऋण पोर्टफोलियो में अमेरिका की हिस्सेदारी मार्च 2024 के 53 प्रतिशत से घटकर मार्च 2025 तक 50 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आगे चलकर इसमें और कमी आने की संभावना है। क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि घरेलू एनबीएफसी अब घरेलू छात्र ऋणों, स्कूल फंडिंग, कौशल विकास और कोचिंग के लिए कर्ज जैसे क्षेत्रों पर भी विचार कर रही हैं।