भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता: रुपये की गिरावट और वैश्विक प्रभाव
भारतीय शेयर बाजार में हालिया अस्थिरता ने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। रुपये की गिरावट और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हलचल ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जापान ब्याज दरें बढ़ाता है, तो इसका असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर पड़ेगा। इसके अलावा, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते पर सहमति बनने पर बाजार में तेजी की संभावना है। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और निवेशकों के लिए क्या सलाह दी जा रही है।
| Nov 23, 2025, 22:11 IST
बाजार में चिंता का माहौल
सुबह के समय जब बाजार खुले, तो निवेशकों के बीच चिंता का माहौल देखने को मिला। हालिया जानकारी के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार अभी भी उच्चतम स्तरों के आसपास है, लेकिन रुपये में आई तेज गिरावट और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हलचल ने स्थिति को अस्थिर कर दिया है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर एआई क्षेत्र में तेजी से शुरू हुई ट्रेडिंग गुरुवार को अचानक मंदी में बदल गई, जिसका प्रभाव एशियाई बाजारों पर भी पड़ा है.
रुपये की गिरावट का महत्व
मार्केट विशेषज्ञ अजय बग्गा के अनुसार, रुपये का 89 के स्तर से नीचे जाना एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि इसे एक मनोवैज्ञानिक स्तर माना जाता है। आमतौर पर, उम्मीद की जाती है कि आरबीआई इस स्तर पर हस्तक्षेप करेगा। यह गिरावट एफपीआई की भारी बिकवाली या जापान में बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण कैरी ट्रेड के अनवाइंड होने से जुड़ी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जापान दिसंबर में ब्याज दरें बढ़ाता है, तो कई विदेशी निवेशक अपनी पोज़िशन में बदलाव कर सकते हैं, जिसका असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर पड़ेगा.
विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी में कमी
कमजोर रुपये के साथ-साथ एफपीआई टैक्सेशन और अस्थिर वैश्विक परिस्थितियाँ विदेशी निवेशकों की रुचि को कम कर रही हैं। बग्गा का मानना है कि रुपये की इस गिरावट के बाद, दिसंबर में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना बहुत कम हो गई है, क्योंकि ऐसा करने से रुपये पर और दबाव पड़ सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मुद्रा कमजोर रहती है, तो आयातित महंगाई बढ़ सकती है, जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा.
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की संभावनाएँ
इस बीच, अमेरिका-भारत व्यापार समझौते पर सभी की नजरें हैं। बग्गा का कहना है कि यदि दोनों देशों के बीच अटके मुद्दों पर सहमति बनती है, तो भारतीय बाजारों में जोरदार रैली देखने को मिल सकती है। भारत ने रूसी तेल खरीद में कटौती की है, फिर भी उसे 25% शुल्क का सामना करना पड़ रहा है, जिससे निर्यातकों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि देर से लिए गए फैसलों के कारण कई भारतीय उद्योग इस बार क्रिसमस सीज़न का पूरा लाभ नहीं उठा पाए हैं.
राजकोषीय प्रोत्साहन की आवश्यकता
बग्गा ने जोर देकर कहा कि भारत को इस समय राजकोषीय प्रोत्साहन की आवश्यकता है और आरबीआई को आगे चलकर ब्याज दरों में कटौती करनी होगी। उनका कहना है कि कई ऐसे क्षेत्र हैं जो देश में संपत्ति निर्माण करते हैं और अत्यधिक कर भार से जूझ रहे हैं। निजी क्षेत्र के बैंक अभी भी मजबूत स्थिति में हैं और बग्गा इन्हें बाजार का एक बड़ा अवसर मानते हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि तेजी तभी आएगी जब कॉरपोरेट निवेश फिर से सक्रिय होगा.
निवेशकों के लिए सतर्कता की सलाह
वर्तमान माहौल में विशेषज्ञों की राय है कि बाजार आगे भी उतार-चढ़ाव का सामना करेगा और निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। व्यापक आर्थिक संकेतक और वैश्विक निर्णय आने वाले समय की दिशा तय करेंगे। फिलहाल, बाजार में सावधानी की आवश्यकता है और हालात पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए, यही कारण है कि निवेशक स्थिति को समझदारी से आंक रहे हैं.
