भोपाल गैस त्रासदी का नया अध्याय: जहरीले कचरे का निपटान

भोपाल गैस त्रासदी का नया मोड़
भोपाल गैस त्रासदी: भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा एक और गंभीर अध्याय अब इतिहास में दर्ज हो चुका है। मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर स्थित एक औद्योगिक क्षेत्र में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से संबंधित 337 टन जहरीले कचरे को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। यह प्रक्रिया लगभग छह महीने में संपन्न हुई, जो पर्यावरण और जन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने जानकारी दी कि '307 टन कचरे को 5 मई की शाम 7:45 बजे जलाना शुरू किया गया और यह प्रक्रिया 29-30 जून की रात 1 बजे समाप्त हुई। इसे अधिकतम 270 किलो प्रति घंटे की दर से जलाया गया।' यह कार्य केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में किया गया।
स्थानीय विरोध के बावजूद हाईकोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई
यह कार्रवाई धार जिले के पीथमपुर प्लांट में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के तहत की गई। हालांकि, प्रारंभ में स्थानीय निवासियों ने पर्यावरण और स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव को लेकर विरोध किया था, लेकिन वैज्ञानिक प्रोटोकॉल और सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया।
कचरे की राख को सुरक्षित रखा गया
जहरीले कचरे के जलने के बाद जो राख और अन्य अवशेष बचे, उन्हें बोरी में पैक कर प्लांट के लीक-प्रूफ शेड में सुरक्षित रूप से रखा गया है। द्विवेदी ने बताया कि 'हमें प्रक्रिया के दौरान किसी भी आस-पास के निवासी की सेहत पर नकारात्मक असर की जानकारी नहीं मिली है।' इन अवशेषों को वैज्ञानिक विधि से जमीन में दफनाने के लिए नवंबर तक विशेष लैंडफिल सेल बनाए जाएंगे।
1984 की त्रासदी की याद
यह उल्लेखनीय है कि 2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। इस त्रासदी में कम से कम 5,479 लोगों की जान गई थी, जबकि हजारों लोग आज भी इसके दुष्प्रभावों का सामना कर रहे हैं।