मनोज गौर की गिरफ्तारी: जेपी ग्रुप पर 12,000 करोड़ रुपये के घोटाले का शिकंजा
नई दिल्ली में रियल एस्टेट पर कार्रवाई
नई दिल्ली: देश की आर्थिक एजेंसियों ने रियल एस्टेट क्षेत्र में एक बार फिर से सख्त कदम उठाया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में जेपी ग्रुप के प्रबंध निदेशक मनोज गौर को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में की गई है। जांच एजेंसी के अनुसार, यह मामला लगभग 12,000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले से संबंधित है, जिसमें घर खरीदारों की राशि का दुरुपयोग किया गया है।
घर खरीदारों के पैसे का दुरुपयोग
ईडी ने जानकारी दी है कि जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड और इससे जुड़ी कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने हजारों घर खरीदारों से फ्लैट देने के नाम पर पैसे लिए, लेकिन उस धन का उपयोग अन्य परियोजनाओं और कॉर्पोरेट ऋण चुकाने में किया गया।
इस हेरफेर के कारण हजारों निवेशकों का पैसा फंस गया और उन्हें अपने घरों की डिलीवरी समय पर नहीं मिली। इसके अलावा, कंपनी के कई प्रोजेक्ट अधर में लटक गए, जिससे खरीदारों को वर्षों तक अपने फ्लैट की चाबी का इंतजार करना पड़ा।
ईडी की छापेमारी से खुलासा
मनोज गौर की गिरफ्तारी से पहले, प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली, मुंबई, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई स्थानों पर छापेमारी की थी। जांच में यह सामने आया कि कंपनी ने घर खरीदारों की रकम को गोलमाल कर अपनी अन्य ग्रुप कंपनियों में ट्रांसफर किया।
ईडी के अधिकारियों का कहना है कि यह ट्रांजैक्शन कई स्तरों पर किया गया ताकि पैसे के असली स्रोत को छिपाया जा सके। इस कारण से इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला मानते हुए पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के तहत कार्रवाई की गई।
जेपी ग्रुप का पिछला विवाद
यह पहली बार नहीं है जब जेपी ग्रुप विवादों में आया है। 2017 में भी जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। उस समय भी घर खरीदारों ने प्रदर्शन कर कंपनी पर आरोप लगाया था कि उनकी मेहनत की कमाई को ठगा गया है।
जेपी इन्फ्राटेक उस समय दिवालिया प्रक्रिया में भी शामिल हुई थी, लेकिन इसके बावजूद घर खरीदारों को राहत नहीं मिल सकी। अब ईडी की ताजा कार्रवाई ने एक बार फिर इस समूह को सुर्खियों में ला दिया है।
आगे की कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, मनोज गौर से ईडी ने कई घंटे तक पूछताछ की और उसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। अब उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा, जहां से ईडी रिमांड की मांग कर सकती है ताकि धन के प्रवाह और उससे जुड़े अन्य नामों का खुलासा किया जा सके।
कंपनी की ओर से कहा गया है कि वे जांच में सहयोग कर रहे हैं और सभी ट्रांजैक्शन कानूनी दायरे में किए गए थे। हालांकि, ईडी का मानना है कि इस पूरे मामले में कई परतें हैं जो आने वाले दिनों में खुलेंगी।
12 हजार करोड़ के घोटाले से प्रभावित घर खरीदार
जेपी इन्फ्राटेक के हजारों ग्राहकों के लिए यह कार्रवाई उम्मीद की किरण बनकर आई है। कई वर्षों से अपने घरों की राह देख रहे लोग अब न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरफ्तारी रियल एस्टेट क्षेत्र में जवाबदेही तय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भविष्य में ऐसे बड़े आर्थिक अपराधों पर लगाम लग सकेगी।
