मनोज गौर की गिरफ्तारी: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय ने जयप्रकाश एसोसिएट्स के पूर्व एग्जीक्यूटिव चेयरमैन मनोज गौर को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई उन शिकायतों के आधार पर की गई है जो हजारों घर खरीदारों ने कंपनी के खिलाफ दर्ज की थीं। जांच में यह सामने आया है कि घर खरीदारों से वसूली गई राशि का दुरुपयोग किया गया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और मनोज गौर की भूमिका के बारे में।
| Nov 13, 2025, 22:42 IST
मनोज गौर की गिरफ्तारी
गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के पूर्व एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और सीईओ मनोज गौर को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया। गौर जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक भी रह चुके हैं।
जांच का विवरण
जानकारी के अनुसार, यह कार्रवाई जयपी ग्रुप के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है, जो दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज मामलों पर आधारित है। इन मामलों में जेपी विशटाउन और जयपी ग्रीन्स परियोजनाओं के हजारों घर खरीदारों ने कंपनी और उसके प्रमोटर्स के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भरोसे के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं।
धन का दुरुपयोग
ईडी ने बताया कि घर खरीदारों से मकान निर्माण के नाम पर वसूली गई राशि का उपयोग निर्माण कार्य के अलावा अन्य स्थानों पर किया गया। इसके परिणामस्वरूप न तो परियोजनाएं पूरी हो सकीं और न ही खरीदारों को उनके घर मिले। उल्लेखनीय है कि जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड और जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड ने लगभग 14,599 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिसमें से एक बड़ी राशि अन्य कंपनियों और ट्रस्टों को भेजी गई थी।
संबद्ध संस्थाओं में धन का हस्तांतरण
यह धन जेपी सेवा संस्थान, जेपी हेल्थकेयर लिमिटेड और जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड जैसी संबद्ध संस्थाओं में स्थानांतरित किया गया था। जांच एजेंसी के अनुसार, मनोज गौर जयपी सेवा संस्थान के प्रबंध ट्रस्टी भी हैं और इसी ट्रस्ट को बटे हुए धन का कुछ हिस्सा प्राप्त हुआ था।
पिछली छापेमारी
इससे पहले, 23 मई 2025 को ईडी ने दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और मुंबई में 15 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें जयप्रकाश एसोसिएट्स और जेपी इन्फ्राटेक के दफ्तरों समेत कई अन्य स्थानों की तलाशी ली गई थी।
मनोज गौर की भूमिका
एजेंसी का कहना है कि जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि फंड्स के हेरफेर और उन्हें जटिल लेन-देन के जरिए अन्य संस्थाओं में भेजने की योजना में मनोज गौर की महत्वपूर्ण भूमिका थी। ईडी का मानना है कि यह पूरा घोटाला कंपनी के उच्च स्तर पर सोच-समझकर किया गया, जिससे हजारों खरीदारों को आर्थिक नुकसान हुआ है।
