महाराष्ट्र में शराब की कीमतों में वृद्धि, नई उत्पाद शुल्क नीति लागू

शराब की कीमतों में बढ़ोतरी
महाराष्ट्र में शराब प्रेमियों को अब अपनी पसंदीदा पेय के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे। राज्य सरकार ने 10 जून 2025 को शराब पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिससे शराब की कीमतों में वृद्धि होगी। यह नया नियम शराब की दुकानों से खरीदने और रेस्तरां या बार में पीने दोनों पर लागू होगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिससे राज्य के उत्पाद शुल्क विभाग को हर साल लगभग 14,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है। आइए, इस फैसले के मुख्य बिंदुओं और संशोधित कीमतों को विस्तार से समझते हैं.
उत्पाद शुल्क में वृद्धि
महाराष्ट्र सरकार ने शराब पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर राजस्व में वृद्धि करने की योजना बनाई है। भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) पर उत्पाद शुल्क अब उत्पादन लागत का तीन गुना से बढ़ाकर 4.5 गुना कर दिया गया है, जो 260 रुपये प्रति बल्क लीटर तक लागू होगा। इसके अलावा, देसी शराब (कंट्री लिकर) पर प्रति प्रूफ लीटर शुल्क 180 रुपये से बढ़ाकर 205 रुपये कर दिया गया है। प्रीमियम विदेशी शराब पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, जिसकी न्यूनतम खुदरा कीमत अब 360 रुपये निर्धारित की गई है.
संशोधित न्यूनतम खुदरा कीमतें
नए उत्पाद शुल्क नियमों के अनुसार, 180 मिलीलीटर की शराब की बोतलों की न्यूनतम खुदरा कीमतें इस प्रकार हैं:
देसी शराब (कंट्री लिकर): 80 रुपये
महाराष्ट्र मेड लिकर (MML): 148 रुपये
भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL): 205 रुपये
प्रीमियम विदेशी शराब: 360 रुपये
इन नई कीमतों के कारण शराब की खरीदारी और बार-रेस्तरां में शराब पीना दोनों महंगा हो जाएगा। विशेष रूप से प्रीमियम विदेशी शराब की कीमतों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है, जो शहरी उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी.
महाराष्ट्र मेड लिकर: नई श्रेणी की शुरुआत
राज्य सरकार ने एक नई शराब श्रेणी, 'महाराष्ट्र मेड लिकर' (MML), की शुरुआत की है। यह अनाज-आधारित शराब होगी, जिसे केवल महाराष्ट्र के स्थानीय निर्माता ही बना सकेंगे। इस नई श्रेणी के लिए निर्माताओं को अपने ब्रांड को नए सिरे से पंजीकृत करना होगा। MML की 180 मिलीलीटर की बोतल की न्यूनतम कीमत 148 रुपये होगी। इस कदम का उद्देश्य स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना और राज्य के भीतर शराब उद्योग को मजबूत करना है.
अन्य राज्यों की नीतियों से प्रेरणा
महाराष्ट्र सरकार ने यह निर्णय अन्य राज्यों की उत्पाद शुल्क नीतियों, लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं और कर संग्रह के तरीकों का अध्ययन करने के बाद लिया है। एक उच्च-स्तरीय अध्ययन समूह ने इन नीतियों की समीक्षा की और सिफारिशें दीं, जिनके आधार पर यह नया ढांचा तैयार किया गया। सरकार का कहना है कि यह नीति न केवल राजस्व बढ़ाएगी, बल्कि अवैध शराब की तस्करी को रोकने और शराब बाजार को अधिक पारदर्शी बनाने में भी मदद करेगी.
लाइसेंस शुल्क में भी बढ़ोतरी
शराब की कीमतों के साथ-साथ, सरकार ने शराब बिक्री के लाइसेंस शुल्क में भी वृद्धि की है। सीलबंद विदेशी शराब की बिक्री के लिए FL-2 लाइसेंस पर 15% और होटल-रेस्तरां के लिए FL-3 लाइसेंस पर 10% अतिरिक्त वार्षिक शुल्क लगाया जाएगा। इसके अलावा, उत्पाद शुल्क विभाग को मजबूत करने के लिए 1,223 नए पद सृजित किए गए हैं, जिनमें 744 नियमित और 479 पर्यवेक्षी पद शामिल हैं। साथ ही, मुंबई में एक नया डिवीजनल कार्यालय और छह अन्य जिलों में अतिरिक्त अधीक्षक-स्तर के कार्यालय खोले जाएंगे.