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मोदी सरकार का बड़ा कर सुधार: जीएसटी में कटौती से उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जीएसटी में कटौती की घोषणा की है, जिससे रोज़मर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी। इस कदम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करना और राजनीतिक लाभ हासिल करना है, खासकर बिहार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में। हालांकि, इस सुधार का राजस्व पर प्रभाव भी पड़ेगा। जानें इस बदलाव के पीछे की रणनीति और इसके संभावित परिणाम।
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मोदी सरकार का बड़ा कर सुधार: जीएसटी में कटौती से उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ

मोदी सरकार का ऐतिहासिक कर सुधार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले आठ वर्षों में सबसे बड़ी कर कटौती की घोषणा की है। इस कदम से सरकार की आमदनी पर दबाव बढ़ेगा, लेकिन उद्योग जगत और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मोदी की छवि को मजबूत करेगा, खासकर जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव जारी है। इसके अलावा, इस निर्णय का बिहार विधानसभा चुनावों पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।


जीएसटी में व्यापक बदलाव

सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में बड़े बदलाव करते हुए कई रोज़मर्रा की वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमतें घटाने का निर्णय लिया है। नया कर ढांचा अक्टूबर से लागू होगा। टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल, मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर, सिलाई मशीन, साइकिल, एल्यूमीनियम और स्टील के बर्तन, ब्रांडेड कपड़े और कई दवाइयाँ अब सस्ती मिलेंगी। इससे उपभोक्ताओं और उद्योगों दोनों को लाभ होगा।


राजस्व पर प्रभाव

हालांकि, इस राहत की एक बड़ी कीमत भी है। चूंकि जीएसटी सरकार के राजस्व का मुख्य स्रोत है, कर कटौती से केंद्र और राज्यों को हर साल लगभग 20 अरब डॉलर का नुकसान होगा। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक का अनुमान है कि इन कटौतियों से अगले 12 महीनों में भारत की जीडीपी में 0.6% की वृद्धि हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी सुधार का यह निर्णय आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक रणनीति है, खासकर बिहार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में।


अमेरिकी टैरिफ का जवाब

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत से आने वाले उत्पादों पर 50% तक टैरिफ बढ़ा दिए हैं। इसके जवाब में, प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों से 'मेक इन इंडिया' उत्पादों का उपयोग करने की अपील की। यह घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और अमेरिकी दबाव का सामना करने की कोशिश मानी जा रही है।


जीएसटी का भविष्य

भारत में 2017 में लागू जीएसटी को आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार माना गया है। हालांकि, इसकी जटिलता पर सवाल उठते रहे हैं। अब सरकार ने 28% टैक्स स्लैब को समाप्त करने का निर्णय लिया है और 12% श्रेणी के अधिकांश सामानों को 5% पर लाने का प्रस्ताव रखा है। इससे उपभोक्ता वस्तुएं और पैकेज्ड फ़ूड सस्ते होंगे।


आर्थिक सुधारों का महत्व

जीएसटी की कम दरों का सीधा असर रोज़मर्रा की वस्तुओं और महंगे उत्पादों पर पड़ेगा। इससे उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ कम होगा और खपत बढ़ेगी। मोदी सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य एकल जीएसटी स्लैब की ओर बढ़ना है, जो विकसित देशों की तरह एक समान आय-व्यय क्षमता पर आधारित होगा।


उपभोक्ताओं के लिए राहत

सरकार को इस समय सबसे अधिक कर संग्रह (65%) 18% वाले स्लैब से होता है। जीएसटी दरें घटने के बाद कई वस्तुएं, जिन पर पहले 12% या 18% कर लगता था, अब 5% स्लैब में आ जाएंगी। इससे उपभोक्ताओं के लिए कई चीजें सस्ती होंगी, जैसे दंतमंजन, बालों का तेल, साबुन, मोबाइल फ़ोन, और कई अन्य उत्पाद।


दीपावली का तोहफ़ा?

मोदी सरकार का यह कदम उपभोक्ताओं के लिए “दीपावली का तोहफ़ा” साबित हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह लंबे समय तक टिकाऊ रहेगा? राजस्व में भारी गिरावट से राज्यों और केंद्र की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है।