योगी आदित्यनाथ की दिल्ली यात्रा: क्या उत्तर प्रदेश में राजनीतिक बदलाव की आहट है?

मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण मुलाकातें
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हाल ही में दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस बैठक में योगी के हाथ में एक मोटी फाइल थी, जिसके बारे में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। आधिकारिक तौर पर बताया गया कि उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट के बारे में चर्चा हुई। लेकिन क्या यह सच है कि मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली आए थे, जबकि पिछले कुछ दिनों से छांगुर बाबा के धर्मांतरण रैकेट पर बातें चल रही थीं? यह सवाल उठता है कि क्या मामला कुछ और है।
राजनीतिक अटकलों का दौर
हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश सरकार में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की जगह नए अध्यक्ष की नियुक्ति की चर्चा भी चल रही है। मुख्यमंत्री की पिछली यात्रा के दौरान कहा गया था कि उन्हें दिल्ली से हरी झंडी मिल गई है, लेकिन अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस यात्रा से पहले, राज्य के दोनों उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य भी दिल्ली में थे और उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की। यह स्पष्ट है कि इन मुलाकातों का शासन से कोई संबंध नहीं था।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में संभावित बदलाव
अब सवाल यह है कि क्या उप मुख्यमंत्रियों और मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आने वाला है? कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के फैसले पर केंद्र सरकार में फेरबदल भी निर्भर कर रहा है। विधानसभा चुनाव में दो साल से कम समय रह गया है, ऐसे में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को यदि कोई बदलाव करना है, तो उन्हें जल्द ही निर्णय लेना होगा। हालांकि, कोई खुलकर नहीं कह रहा है, लेकिन यह सच है कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के लिए पिछड़ी जातियों को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन से रोकना एक बड़ी चुनौती बन गई है।