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रिकरिंग डिपॉजिट बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट: कौन सा निवेश विकल्प बेहतर है?

महंगाई के इस दौर में सही निवेश करना बेहद जरूरी है। रिकरिंग डिपॉजिट और फिक्स्ड डिपॉजिट दोनों ही सुरक्षित निवेश विकल्प हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। जानें कि किस विकल्प में निवेश करना आपके लिए अधिक लाभकारी हो सकता है। इस लेख में हम इन दोनों विकल्पों की विशेषताओं, लाभ और अंतर के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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रिकरिंग डिपॉजिट बनाम फिक्स्ड डिपॉजिट: कौन सा निवेश विकल्प बेहतर है?

रिकरिंग डिपॉजिट और फिक्स्ड डिपॉजिट का महत्व

Recurring Deposit vs Fixed Deposit: महंगाई के बढ़ते स्तर को देखते हुए, आज के निवेश पर ध्यान देना आवश्यक है। खासकर जब बात आर्थिक भविष्य की हो, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने निवेश को सोच-समझकर करें ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर यह काम आ सके। सही तरीके से किया गया निवेश हमेशा लाभकारी होता है। यदि आप एक सुरक्षित स्थान पर निवेश करना चाहते हैं, जहां आपका पैसा सुरक्षित रहे और अच्छा रिटर्न भी मिले, तो रिकरिंग डिपॉजिट और फिक्स्ड डिपॉजिट पर विचार कर सकते हैं।


रिकरिंग डिपॉजिट (RD) क्या है?

RD vs FD: रिकरिंग डिपॉजिट या फिक्स्ड डिपॉजिट?


रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) एक ऐसा निवेश विकल्प है, जिसमें आप हर महीने एक निश्चित राशि जमा कर सकते हैं। यह योजना उन लोगों के लिए आदर्श है, जो एक साथ बड़ी राशि निवेश नहीं कर सकते। यह नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए भी उपयुक्त है, जो अपनी मासिक सैलरी का कुछ हिस्सा आरडी में निवेश कर सकते हैं। मैच्योरिटी पर आपको मूलधन के साथ ब्याज भी मिलता है। आरडी की अवधि आमतौर पर 6 महीने से लेकर 10 साल तक होती है।


फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) क्या है?

FD क्या है?


फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में निवेश के लिए आपको एक बड़ी राशि एक बार में जमा करनी होती है। जबकि आरडी में आप हर महीने कुछ राशि जमा कर सकते हैं, एफडी में आपको एकमुश्त राशि जमा करनी होती है। मैच्योरिटी के समय आपको तय ब्याज दर के अनुसार पूरी राशि मिलती है। एफडी की अवधि 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकती है।


आरडी और एफडी में मुख्य अंतर

RD vs FD: क्या है दोनों में बड़ा अंतर


रिकरिंग डिपॉजिट और फिक्स्ड डिपॉजिट के बीच सबसे बड़ा अंतर निवेश की प्रक्रिया में है। आरडी में आप हर महीने राशि जमा कर सकते हैं, जबकि एफडी में एक बार में बड़ी राशि जमा करनी होती है। आरडी की लॉक-इन अवधि 6 महीने से 10 साल तक होती है, जबकि एफडी में यह 7 दिन से 10 साल तक होती है। दोनों पर TDS लागू होता है और टैक्स छूट भी मिल सकती है।