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रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में की कटौती

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में रूस से कच्चे तेल की खरीद में कटौती की है, जो पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के पालन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। कंपनी आने वाले महीनों में उन रूसी कंपनियों से तेल खरीदना बंद कर देगी, जिन पर अमेरिकी प्रतिबंध हैं। इस लेख में जानें कि कैसे रिलायंस ने मध्य पूर्व से आयात बढ़ाया है और भविष्य में क्या संभावनाएं हैं।
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रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में की कटौती

रूस से तेल खरीद में कमी

मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने हाल ही में रूस से कच्चे तेल की खरीद में महत्वपूर्ण कमी की है। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी आने वाले महीनों में उन रूसी कंपनियों से तेल खरीदना पूरी तरह से बंद कर देगी, जिन पर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने प्रतिबंध लगाए हैं। यह निर्णय पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का पालन करने और अमेरिका तथा यूरोप के बाजारों में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए लिया गया है। उल्लेखनीय है कि रिलायंस भारत में रूस से तेल खरीदने वाली सबसे बड़ी कंपनी है.


आयात में गिरावट

कंपनी के आयात आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में रिलायंस ने रूस से लगभग 5.34 लाख बैरल प्रतिदिन तेल मंगवाया, जो सितंबर की तुलना में 24% कम है। यह आंकड़ा अप्रैल से सितंबर के औसत आयात से भी लगभग 23% कम है। ध्यान देने योग्य है कि कच्चे तेल की बुकिंग आमतौर पर एक महीने पहले की जाती है और जहाजों को भारत पहुंचने में अतिरिक्त समय लगता है। दूसरी ओर, नायरा एनर्जी ने अक्टूबर में पूरी तरह से रूस से तेल मंगवाया है.


मध्य पूर्व से आयात में वृद्धि

रूसी तेल की कमी को पूरा करने के लिए, रिलायंस ने मध्य पूर्व से आयात बढ़ा दिया है। विशेष रूप से, सऊदी अरब और इराक से आयात क्रमशः 87% और 31% बढ़ा है। इसके अलावा, अमेरिका से भी तेल आयात में वृद्धि हुई है, जो सितंबर के मुकाबले दोगुना होकर कुल आयात का लगभग 10% बन गया है.


प्रतिबंधों का प्रभाव

जानकारी के अनुसार, यह कटौती हालिया अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण नहीं हुई है, बल्कि पहले से मौजूद अनिश्चितताओं और दबावों के कारण है। ट्रंप प्रशासन के दौरान भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाए गए थे, और जुलाई में यूरोपीय संघ ने जनवरी से लागू होने वाले नए प्रतिबंधों की घोषणा की थी। यह भी महत्वपूर्ण है कि रिलायंस का अमेरिकी बाजारों और तकनीकी कंपनियों के साथ बड़ा संबंध है, जिससे कंपनी जोखिम नहीं लेना चाहती.


भविष्य की संभावनाएं

कंपनी यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रतिबंधित रूसी कंपनियों से जारी खरीद के कारण उसे किसी प्रकार के 'सेकेंडरी सैंक्शंस' का सामना न करना पड़े। इसी कारण, 21 नवंबर की डेडलाइन के बाद रिलायंस उन रूसी कंपनियों से कच्चा तेल लेना बंद कर सकती है। हालांकि, यदि भविष्य में स्थिति सामान्य होती है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटते हैं, तो आयात फिर से शुरू होने की संभावना बनी रहेगी.


यूरोपीय संघ के नए नियम

हाल ही में, यूरोपीय संघ ने कुछ शर्तों के साथ रूस से तेल आयात की अनुमति दी है। यदि रिफाइनरी तेल को अलग-अलग प्रोसेस कर सकती है, तो ऐसे उत्पादों का निर्यात यूरोप के लिए संभव है। अन्यथा, कंपनियों को यह साबित करना होगा कि उनके प्लांट में पिछले 60 दिनों से रूसी तेल का उपयोग नहीं हुआ है। ऐसे नियमों के तहत, रिलायंस अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का पालन करने पर जोर दे रही है, ताकि उसके वैश्विक हित सुरक्षित रह सकें.