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रिलायंस पावर घोटाला: CFO अशोक कुमार पाल की गिरफ्तारी से बढ़ी मुश्किलें

प्रवर्तन निदेशालय ने रिलायंस पावर के CFO अशोक कुमार पाल को 68.2 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले समूह की समस्याओं को और बढ़ा सकती है, क्योंकि ईडी पहले से ही कई कंपनियों के वित्तीय लेन-देन की जांच कर रही है। जानें इस मामले की गहराई और कॉर्पोरेट जगत पर इसके प्रभाव के बारे में।
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रिलायंस पावर घोटाला: CFO अशोक कुमार पाल की गिरफ्तारी से बढ़ी मुश्किलें

रिलायंस पावर घोटाले का खुलासा


रिलायंस पावर घोटाला: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के CFO और कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी 68.2 करोड़ रुपये के नकली बैंक गारंटी घोटाले से संबंधित है। सूत्रों के अनुसार, यह मामला एक संगठित रैकेट से जुड़ा हुआ है, जो फर्जी बैंक गारंटी जारी करके वित्तीय धोखाधड़ी करता था।


रिलायंस समूह की जांच का दायरा

इस गिरफ्तारी ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह की समस्याओं को और बढ़ा दिया है। ईडी पहले से ही रिलायंस समूह की विभिन्न कंपनियों के वित्तीय लेन-देन की जांच कर रही है। अब इस नई गिरफ्तारी से जांच का दायरा और भी विस्तारित हो सकता है। जांच एजेंसी का मानना है कि फर्जी गारंटी के माध्यम से बड़ी मात्रा में धन की हेराफेरी की गई है, जिसमें उच्च अधिकारियों की संलिप्तता के संकेत भी मिले हैं।


घोटाले का विवरण

जांच एजेंसी के अनुसार, यह घोटाला तब सामने आया जब कुछ बैंकों ने संदेह जताया कि उनके नाम पर जारी की गई बैंक गारंटी असली नहीं हैं। ईडी की प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि 68.2 करोड़ रुपये की कई बैंक गारंटी नकली थीं और इन्हें किसी बैंक की वैध प्रक्रिया के बिना तैयार किया गया था। ईडी का कहना है कि अशोक कुमार पाल इस घोटाले में मुख्य भूमिका निभा रहे थे, और उन्हें सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया।


अन्य अधिकारियों की जांच

ईडी के सूत्रों के अनुसार, केवल अशोक पाल ही नहीं, बल्कि रिलायंस समूह के अन्य अधिकारी और संबंधित कंपनियाँ भी जांच के दायरे में हैं। एजेंसी ने कई स्थानों पर छापेमारी की है और कई दस्तावेज जब्त किए हैं।


रिलायंस पावर की प्रतिक्रिया

रिलायंस पावर ने इस गिरफ्तारी पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, कंपनी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कंपनी पूरी तरह से जांच में सहयोग कर रही है और सभी आवश्यक दस्तावेज समय पर उपलब्ध करा रही है।


कॉर्पोरेट जगत पर प्रभाव

इस गिरफ्तारी का प्रभाव न केवल रिलायंस पावर पर, बल्कि समग्र कॉर्पोरेट जगत की साख पर भी पड़ा है। वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता की आवश्यकता पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं।


आगे की कार्रवाई

ईडी अब इस मामले में अन्य संबंधित अधिकारियों से पूछताछ करेगी और यह जानने की कोशिश करेगी कि क्या यह घोटाला एक बड़े वित्तीय नेटवर्क का हिस्सा है। अशोक कुमार पाल को जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा, जहां ईडी उनकी न्यायिक हिरासत की मांग कर सकती है।