रुपये की गिरावट: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 91 के स्तर से नीचे आया
मंगलवार को रुपये की स्थिति ने बाजार में हलचल मचा दी, जब यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 91 के स्तर से नीचे गिर गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता ने रुपये पर दबाव डाला है। पिछले 10 कारोबारी सत्रों में रुपये में गिरावट आई है, और विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापार समझौते के संबंध में विरोधाभासी संकेत निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर रहे हैं। जानें रुपये की स्थिति, महंगाई और वैश्विक संकेतों का बाजार पर क्या असर है।
| Dec 16, 2025, 22:39 IST
रुपये की चाल से बाजार में हलचल
मंगलवार को रुपये की स्थिति ने बाजार में हलचल मचा दी। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये ने इंट्रा-डे कारोबार में पहली बार 91 के स्तर से नीचे गिरावट दर्ज की। विदेशी संस्थागत निवेशकों की निरंतर बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के संबंध में अनिश्चितता के कारण रुपये पर दबाव स्पष्ट रूप से देखा गया।
रुपये में गिरावट का आंकड़ा
हालिया जानकारी के अनुसार, पिछले 10 कारोबारी सत्रों में रुपये में लगभग एक रुपये की गिरावट आई है, जबकि पिछले पांच सत्रों में इसमें लगभग 1 प्रतिशत की कमी आई है। मंगलवार की सुबह, इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये की शुरुआत 90.87 पर हुई, लेकिन जैसे-जैसे कारोबार बढ़ा, रुपये में कमजोरी बढ़ती गई।
रुपये की स्थिति और बाजार विशेषज्ञों की राय
सुबह करीब 11:45 बजे रुपये 91.14 के स्तर पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले बंद भाव की तुलना में 36 पैसे की गिरावट को दर्शाता है। सोमवार को भी रुपये ने रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद होने का अनुभव किया था, जिसमें एक ही दिन में 29 पैसे की कमी आई थी। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के संबंध में विरोधाभासी संकेत निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर रहे हैं। एक ओर यह कहा जा रहा है कि साल के अंत तक समझौते का पहला चरण संभव है, वहीं दूसरी ओर इसकी समयसीमा और शर्तों को लेकर स्पष्टता का अभाव है। इस अनिश्चितता के बीच डॉलर की मांग बनी हुई है, जिससे डॉलर-रुपया जोड़ी में रोजाना खरीदारी हो रही है।
व्यापार घाटे और विदेशी निवेशकों की बिकवाली
हालांकि व्यापार घाटे में हालिया कमी रुपये को स्थिर करने में मदद नहीं कर सकी है। विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली लगातार जारी है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को एफआईआई ने शेयर बाजार में लगभग 1,468 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।
महंगाई की स्थिति
महंगाई के मोर्चे पर भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में थोक महंगाई दर लगातार दूसरे महीने नकारात्मक रही और यह शून्य से नीचे 0.32 प्रतिशत पर दर्ज की गई। हालांकि, दालों और सब्जियों जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के दाम महीने-दर-महीने बढ़े हैं, लेकिन समग्र रूप से महंगाई का दबाव कमजोर बना हुआ है।
वैश्विक संकेत और घरेलू बाजार
वैश्विक स्तर पर डॉलर इंडेक्स में हल्की नरमी देखी गई है, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को मापता है। कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट आई है, और ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना हुआ है। घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी का असर दिखा। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों लाल निशान में रहे, जिससे निवेशकों की सतर्कता बढ़ गई है। कुल मिलाकर, विदेशी पूंजी की निकासी, वैश्विक संकेतों और व्यापार समझौते को लेकर असमंजस के चलते रुपये की स्थिति फिलहाल दबाव में बनी हुई है।
