रुपये की गिरावट पर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़, कांग्रेस ने मोदी को घेरा
रुपये की गिरावट को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। कांग्रेस ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए उनके 2013 के बयान की याद दिलाई है। पिछले शुक्रवार को रुपये में तेज़ गिरावट आई, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। जानें इस गिरावट के पीछे के कारण और बाजार की प्रतिक्रिया।
| Nov 25, 2025, 22:42 IST
रुपये की गिरावट पर कांग्रेस का हमला
डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को लेकर राजनीतिक चर्चाएं फिर से बढ़ गई हैं। हाल की जानकारी के अनुसार, कांग्रेस ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि रुपये की लगातार कमजोरी एक गंभीर चिंता का विषय है। इस संदर्भ में, उन्होंने पीएम मोदी के 2013 में दिए गए एक बयान की याद दिलाई।
रुपये की स्थिति और बाजार की प्रतिक्रिया
पिछले शुक्रवार को रुपये में तेज़ गिरावट देखी गई, जब यह 98 पैसे टूटकर 89.66 पर बंद हुआ, जो कि रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तर है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजारों में भारी बिकवाली, डॉलर की बढ़ती मांग और व्यापारिक अनिश्चितता इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं। हालांकि, सोमवार की सुबह रुपये ने थोड़ा सुधार दिखाया और 89.46 पर खुलने के बाद 89.17 तक मज़बूत हुआ।
कांग्रेस का बयान और मोदी का पुराना वीडियो
कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि रुपये की गिरावट जारी है और यह जल्द ही 90 के स्तर को पार कर सकता है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी को वह बयान याद है जो उन्होंने जुलाई 2013 में रुपये की गिरावट पर दिया था। रमेश ने उस समय के एक वीडियो को साझा किया जिसमें नरेंद्र मोदी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, UPA सरकार पर तंज कसते नजर आ रहे हैं। वीडियो में मोदी कहते हैं, “रुपया इतनी तेज़ी से गिर रहा है कि लगता है दिल्ली की सरकार और रुपये में कोई प्रतियोगिता चल रही है कि किसकी इज़्ज़त पहले गिरती है।”
अंतरराष्ट्रीय बाजार का प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव डाल रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें, वैश्विक व्यापारिक तनाव और निवेशकों की बदलती रणनीतियाँ भी रुपये की दिशा को प्रभावित कर रही हैं। आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, आने वाले हफ्तों में विदेशी निवेश और वैश्विक बाजार के संकेत रुपये के उतार-चढ़ाव को प्रभावित करेंगे, जबकि सरकार की ओर से स्थिरता बनाए रखने की कोशिशें जारी हैं।
