रुपये की मजबूती में आरबीआई का हस्तक्षेप, बाजार पर नजरें
इस सप्ताह रुपये की स्थिति में सुधार देखने को मिला है, जिसका मुख्य कारण भारतीय रिज़र्व बैंक का सक्रिय हस्तक्षेप है। आरबीआई द्वारा डॉलर की बिक्री बढ़ाने के बाद, रुपये ने 90 के स्तर को पार किया और 89.27 पर बंद हुआ। हालांकि, बाजार में आयातकों की गतिविधियों से रुपये की मजबूती पर कुछ रोक लग सकती है। जानें कैसे आरबीआई की रणनीतियों ने रुपये को सहारा दिया और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों का क्या प्रभाव पड़ा है।
| Dec 22, 2025, 22:41 IST
रुपये पर दबाव कम करने में आरबीआई की भूमिका
विदेशी मुद्रा बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के सक्रिय हस्तक्षेप के कारण इस सप्ताह रुपये पर दबाव कुछ हद तक कम हो सकता है। शुक्रवार की शाम को आरबीआई द्वारा डॉलर की बिक्री बढ़ाने के बाद, रुपया एक डॉलर के मुकाबले 90 के स्तर को पार कर गया और सप्ताह का अंत लगभग 1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 89.27 पर हुआ।
सरकारी बैंकों की भूमिका और सट्टेबाजों के दांव
जानकारी के अनुसार, सरकारी बैंकों के माध्यम से डॉलर की बिक्री ने रुपये को समर्थन प्रदान किया। इसके साथ ही, सट्टेबाजों द्वारा रुपये के खिलाफ लगाए गए दांव में कमी आने से भी रुपये में तेजी आई। हालांकि, एक बड़े निजी बैंक के डीलर का कहना है कि सोमवार से आयातक अपनी हेजिंग के लिए बाजार में सक्रिय हो सकते हैं, जिससे रुपये की मजबूती पर कुछ रोक लग सकती है।
आरबीआई का हस्तक्षेप और रुपये की स्थिति
पिछले सप्ताह आरबीआई के बड़े हस्तक्षेप के चलते, रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर 91.075 से लगभग 2 प्रतिशत तक उबर गया है, जिससे गिरावट की गति में कमी आई है। विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई की यह रणनीति डॉलर-रुपया जोड़ी में तेजी को सीमित रखेगी, लेकिन विदेशी प्रवाह की कमी के कारण हस्तक्षेप के बाद रुपये में फिर से हल्की गिरावट देखी जा सकती है। वर्तमान में 88.80 का स्तर महत्वपूर्ण समर्थन माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय डॉलर सूचकांक और बांड बाजार
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, डॉलर सूचकांक शुक्रवार को मजबूत बंद हुआ, जिससे तीन हफ्तों की गिरावट का सिलसिला टूटा है। जापान के केंद्रीय बैंक द्वारा दर वृद्धि की उम्मीद के चलते येन में कमजोरी आई है, जिसने डॉलर को मजबूती प्रदान की है।
बॉंड बाजार की स्थिति
बॉंड बाजार में 10-वर्षीय बेंचमार्क 6.48 प्रतिशत 2035 बॉंड की यील्ड सप्ताह के अंत में 6.6017 प्रतिशत पर रही। कारोबारियों की नजरें 6.56 से 6.65 प्रतिशत के दायरे पर हैं, जहां आरबीआई के तरलता संकेत और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां दिशा तय करेंगी। रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद से बॉंड पर बिकवाली का दबाव बना हुआ है, और 2025 में अब तक कुल कटौती 125 बेसिस प्वाइंट तक पहुंच चुकी है, जो 2019 के बाद सबसे अधिक है।
विदेशी निवेशकों की गतिविधियां
कई बाजार प्रतिभागियों का मानना है कि मौजूदा ढील चक्र अब अपने अंत के करीब है, और वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में बड़े बॉंड इश्यू को लेकर सतर्कता बढ़ रही है। इस बीच, आरबीआई ने दिसंबर के शेष दिनों में तरलता बढ़ाने के संकेत दिए हैं। पहले ही केंद्रीय बैंक 1.45 लाख करोड़ रुपये की नकदी बॉंड खरीद और फॉरेक्स स्वैप के माध्यम से डाल चुका है।
निवेश के अवसर
विदेशी निवेशकों ने दिसंबर के पहले तीन हफ्तों में इंडेक्स-लिंक्ड बॉंड से लगभग 10,900 करोड़ रुपये की निकासी की है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ ऊंची यील्ड और कमजोर रुपये को निवेश के अवसर के रूप में देख रहे हैं। उभरते बाजारों पर नजर रखने वाले निवेशकों का मानना है कि जोखिम और रिटर्न के दृष्टिकोण से भारत अभी भी एशिया में आकर्षक बना हुआ है, और करेंसी कैरी फिलहाल एक सुरक्षित कुशन का काम कर रही है।
