रुपये में सुधार, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर

रुपये की स्थिति में सुधार
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी और डॉलर की कमजोरी के चलते शुक्रवार को रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे की बढ़त हासिल की, और यह 86.59 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख और विदेशी संस्थागत निवेशकों की खरीदारी ने रुपये को मजबूती प्रदान की। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये की शुरुआत 86.65 पर हुई और यह 86.55 से 86.67 के बीच कारोबार करता रहा।
कारोबार के अंत में रुपये ने 14 पैसे की बढ़त के साथ 86.59 (अस्थायी) पर समापन किया। पिछले दिन, रुपये ने 30 पैसे की गिरावट के साथ दो महीने के निचले स्तर 86.73 पर बंद हुआ था।
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के मनीष शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को रुपये में तेजी आई, लेकिन इस महीने की शुरुआत से इसमें एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। यह गिरावट पिछले शुक्रवार को इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के बाद आई।
इन हमलों ने वैश्विक तेल आपूर्ति में बाधा उत्पन्न करने की चिंताओं को जन्म दिया, जिसके कारण वायदा बाजार में ब्रेंट क्रूड तेल की कीमत 79 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में गिरावट ने शुक्रवार को रुपये को राहत दी।
अमेरिका के राष्ट्रपति कार्यालय ने जानकारी दी है कि डोनाल्ड ट्रंप अगले दो हफ्तों में यह तय करेंगे कि अमेरिका इजराइल-ईरान युद्ध में शामिल होगा या नहीं। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.60 पर रहा।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 2.36 प्रतिशत गिरकर 76.99 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को शुद्ध रूप से 934.62 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।